गड़हनी-भोजपुर ::–
बबलू कुमार-
18 जनवरी 2020
शनिवार
न्याय और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाले राष्ट्रीय संगठन इंसाफ मंच की गड़हनी इकाई और युवा संगठन इंकलाबी नौजवान सभा की गड़हनी इकाई की संयुक्त बैठक माले कार्यालय गड़हनी में हुआ।
इस बैठक में मुख्य वक्ता इंकलाबी नौजवान सभा (इनौस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और माले के प्रखंड सचिव नवीन कुमार भी उपस्थित रहे। बैठक में सभी वक्ताओं ने कहा कि सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ ‘नागरिकता बचाओ, संविधान बचाओ और लोकतंत्र बचाओ’ एक विशाल जनसभा गड़हनी के ब्लाॅक मैदान में 21 जनवरी को आयोजित होगा।
इस जनसभा के मुख्य वक्ता इंसाफ मंच के राष्ट्रीय संयोजक काॅ सलीम होंगे और भाकपा-माले और इंसाफ मंच संयुक्त तौर पर आयोजनकर्ता होंगे। बैठक को संबोधित करते हुए काॅ मनोज मंजिल ने कहा कि आज देश में एनआरसी, सीएए, एनपीआर आदि को लाकर देश के वाजिब मुद्दों को दबाने का काम सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को देश की जनता चुनती है लेकिन एनआरसी, सीएए, एनपीआर आदि के तहत सरकार देश की जनता को चुनेगी। यह देश की जनता को कतई बर्दाश्त नहीं है, इस तरह के कानून से संविधान की हत्या की गई है।
लोकतंत्र की हत्या हुई है और यह साफ-साफ मोदी-शाह के तानाशाही और लोकतंत्र विरोधी रवैया को दर्शाता है। मंजिल जी ने आगे कहा कि आज देश के अंदर यह कानून सिर्फ अल्पसंख्यकों को नहीं बल्कि करोड़ों करोड दलित और गरीब गुरबों को भी एनआरसी के दायरे में ला सकता है। उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ सिर्फ मुस्लिम समुदाय ही नहीं देश के सभी समुदाय के लोग एक साथ मिलजुल कर संघर्ष कर रहे हैं और जब यह कानून वापस नहीं लिया जाता है तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
बिहार के नीतीश सरकार भाजपा से मिलकर बिहार में एनपीआर को लागू करवाने का काम कर रही है जिसे बिहार की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी । एनपीआर ही एनआरसी का पहली सीढ़ी है। बिहार में एनपीआर करवाने से एनआरसी की पहली सूची बन सकती है, इसीलिए नीतीश कुमार को चाहिए कि बिहार में एनआरसी, एनपीआर, सीएए आदि जैसे कानून का विरोध करें। देेेश अल्पसंख्यकों को आतंकवादी कहकर बदनाम किया जा रहा है लेकिन जेएनयू, जामिया, एएमयू आदि के अंदर जो नकाबपोश अपराधी घुसकर छात्रों व शिक्षकों पर हमला कर रहे हैं उन पर क्यों नहीं आज तक कार्रवाई की गई, यह भी मोदी-शाह की सरकार को बताना चाहिए।
इंसाफ मंच और इनौस ने इस विशाल जनसभा को सफल बनाने के लिए गांव गांव में मीटिंग करने और प्रचार वाहन निकालने का फैसला किया।