बछवाड़ा (बेेेगूसराय) ::–
नूर आलम ::–
02 दिसंबर 2019
सोमवार
मानव जीवन में पणिग्रहण संस्कार है यह कोई भोग्य वस्तु नही। ये बातें श्री राम राज स्मृति भवन रानी परिसर में चल रहे सप्त दिवसीय श्री राम कथा महोत्सव के पांचवें दिन विवाह पंचमी के दिन राम सीता विवाह के अवसर पर राम सीता विवाह प्रसंग के दौरान वृंदावन से पधारे साकेतवासी श्री इंदु भूषण जी महाराज के पौत्र पुनीत पाठक जी अपने प्रवचन के दौरान कही।
साथ ही उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर भी विशेष चर्चा किया। प्रवचन पंडाल में मौजूद धर्म प्रेमी श्रद्धालुओंं से अपील करते हुुए कहा वर्तमान व भविष्य में अगर राम सीता विवाह का आनंद लेना है तो पाणिग्रहण संस्कार को संसकार ही रहने दें। इसको कोई भोग्य वस्तु व व्यवसाय नहीं बनावे।
बेटी रूपी सीता को काल के गाल मेंं जाने से बचाना होगा व दहेज रूपी दानव का संहार करना होगा। उन्होंने कहा धरती पर जब अत्याचार बढ़ जाता है तो अति का अंत करनेे के भगवान का अवतार होता है। भगवान का अवतार हमेशा समाज कल्याण व धर्म की रक्षा के लिए होती है। परमात्मा हमेशा ऋषि संस्कृति या कृषि संस्कृति में ही निवास करते हैं।
जहां प्रभु की भक्ति होती है प्रभु के बताएं संस्कृति का अनुसरण जहां होता है वही प्रभु निवास करतेे हैं। जहांं भक्ति रहेगी वहांं ज्ञान बैरागी को आनाा ही होगा। उन्होंने बताया कि मानव जीवन में मोक्ष प्राप्त करना है तो उसके लिए कन्यादान सबसे सुगम रास्ताा है।
अंंत मे उन्होंने नारी के सम्मान को स्मरण करते हुये विगत दिनो मे हुयी अमानवीय घटना की निन्दा करते हुये शीर्ष नेतृत्व से ऐसे अपराधो के लिये कम समय मे कठोर से कठोर दंड का विधान बनाने की याचना की।