बेगूसराय ::–
विजय श्री ::-
31 अक्टूबर 2019
गुरुवार
रेलवे निजीकरण व आंदोलनकारी छात्रों पर दमन के खिलाफ छात्र संगठन आइसा अपने राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूक विरोध किया।
सैकड़ो छात्रों का जत्था आइसा के जिला सचिव अभिषेक आनंद व रौशन कुमार के नेतृत्व में आम्बेडकर चौक स्थित जिला कार्यालय से निकल कचहरी रोड, ट्रैफिक चौक होते हुए रेलवे स्टेशन परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका।
इस बीच छात्र नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद, रेलवे है हम छात्रों का सरकार की जागीर नही, पटरी हमारी रेल तुम्हारी नही चलेगी, सासाराम में गिरफ्तार छात्रों को रिहा करो, रेलवे के निजीकरण पर रोक लगाओ जैसे गगनभेदी नारे लगा रहे थे।
इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए आइसा के राज्य उपाध्यक्ष वतन कुमार ने भारतीय रेल के निजीकरण को रेलवे और देश दोनों के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने दोबारा सत्ता में आने के बाद सबसे पहले गरीब जनता की सवारी भारतीय रेल के निजीकरण का ऐलान किया है। भारतीय रेलवे में 100 दिन का एक्शन प्लान दरअसल जनता से उसका सस्ता जन-परिवहन छीनने की तैयारी है। इस रास्ते से सरकार मुनाफे का निजीकरण तथा घाटे का सरकारीकरण कर रही है। जिसकी शुरुआत भारतीय रेल की सात कोच-फैक्ट्रियों के निजीकरण से की जा चुकी है।
सरकार उन ट्रेनों और रूट को निजी हाथों में दे रही है जो फायदे में हैं। सरकार ने पहले रेलवे को बदनाम किया, जानबूझकर बर्बाद किया और उसके बाद उसको निजी हाथों में बेच रही है।
पहले रेलवे में 12 लाख से ज्यादा कर्मचारी थे जो घटकर अब केवल 10 लाख रह गए हैं। इसी तरह से चला तो आने वाले वर्षों में यह संख्या घटाकर केवल 7 लाख रह जाएगी, जबकि दूसरी तरफ इस दौरान रेल पर सवारियों का भार बढ़ा है। इन सबके बावजूद आज भी रेलवे सार्वजनिक परिवहन में सबसे बेहतर काम कर रही है। सरकार को इसे निजी हाथो में बेचने की बजाय इसमें और निवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा की सरकार अगर नहीं मानी तो आइसा का संघर्ष और तेज़ होगा।
जिला अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ सासाराम में छात्रों के आंदोलन के बाद सरकार ने वहां आतंक की स्थिति पैदा कर दी है. लाॅजों में लगातार छापेमारी की जा रही है जैसे किसी आतंकवादी की तलाश हो. हरेक कोचिंग सेंटर पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र प्रशासन के आतंक की वजह से पढ़ाई छोड़कर घर भागने को मजबूर हो गए हैं. उन्होंने कहा रेलवे के निजीकरण से छात्र रेलवे का परीक्षा फार्म नहीं भर पायेंगे और न ही परीक्षा में शामिल हो पाएंगे. रोजगार मांगने पर उलटे दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है.
इस मौके पर अविनाश कुमार, फ़िरोज़ शेख, फहीम आलम, रजनीश कुमार, शंभु चौरसिया, राजा बाबू, एहतशाम आज़ाद शहित अन्य ने अपनी बातें रखी।