बछवाडा़ (बेगूसराय) :~
@ दियारा की 80फिसदी आबादी बाम दल समर्थक
@ NDA व UPA दोनों के तस्वीरों में एक हीं लोग
@ झुठी खुशफहमी का शिकार हो जाते हैं प्रत्याशी
राकेश यादव :~
बछवाडा़ प्रखंड का दियारा क्षेत्र युं तो वामपंथियों का गढ़ माना जाता है। जहां की लगभग 80 फिसदी आबादी वाम दलों के कैडरों से भरा पडा़ है। मगर शेष बचे 20 प्रतिशत आम नागरिकों को परखने में प्रत्याशियों के हीं नहीं कार्यकर्ताओं के भी पसीने छुट रहे हैं।
दियारा में कुल पांच पंचायत क्रमशः दादुपुर, बिशनपुर, चमथा 01, चमथा02 एवं चमथा03 पंचायत अवस्थित है। इन जगहों पर पुर्व में हुए पंचायत चुनावों पर गौर किया जाय तो त्रिस्तरीय पंचायत सदनों में वामपंथियों का हीं दबदबा रहा है।
दादुपुर के वर्तमान मुखिया गीता शर्मा कहती है कि दियारा के श्रवणटोल से लक्ष्मणटोल तक के सभी वाम कैडर एक साथ कदमताल करने को तैयार है। शेष बचे 20 प्रतिशत की आबादी की भूमिका प्रत्याशियों के परख से बाहर है।
दियारा में वाम उम्मीदवार कन्हैया कुमार को छोड़कर ज्यों हीं किसी प्रत्याशियों का प्रवेश होता है। तो इन्ही शेष बचे आबादी को अपने पिछे जयकारा लगाता देख एनडीए एवं युपीए उम्मीदवार खुशफहमी का शिकार हो जाते हैं।
एक कार्यकर्ता ने बताया कि उम्मीदवार द्वारा गांवों में आने से पुर्व विभिन्न जगहों पर अपने स्वागत के लिए लोगों को खडे रखने को कहा जाता है। थोडा़ बहुत खर्च करने पर ये लोग जुट भी जाते हैं। फूल-माला से स्वागत के साथ कुछ नारा-जयकारा भी हो जाता है। नेता जी मन ही मन यह सोंचकर प्रफुल्लित हो जाते हैं कि सारा वोट अपना हीं तो है।
मगर शायद नेताजी को यह पता नहीं होता कि यही लोग अन्य प्रत्याशियों के तस्वीरों में भी मौजूद होते हैं।
दियारा के पंचायत समिति सदस्य मिथिलेश यादव उर्फ ओमप्रकाश एवं श्रीकांत पासवान जनप्रतिनिधि अनिल कुमार सहित अन्य पंचायत प्रतिनिधियों नें कहा कि चुनावों के समय बरसाती मेढ़क की तरह अचानक आ टपकने वाले दलों को किराए पर लोग इकट्ठा करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
जबकि वाम दल बारहों मास कार्यालय खोलकर लोगों की सेवा में तैयार बैठी रहती है ।