गढ़हरा, बेगूसराय, रवि शंकर झा।।
गढ़हरा वार्ड-17 निवासी बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के भूतपूर्व जिला मंत्री, समर्पित वामपंथी-समाजवादी नेता सह गढ़हरा दर्पण परिवार के संस्थापक सदस्य कामरेड वासुदेव सिंह के स्मृति दिवस के मौके पर गढ़हरा स्थित उनके आवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। वहीं सबसे पहले वासुदेव बाबू के तैल चित्र पर पुष्पांजलि किया गया। जहाँ वासुदेव बाबू के धर्मपत्नी ने भी भावुकता के साथ उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किया।
मौके पर आगत अतिथियों का स्वागत ईसी रेलवे ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के क्षेत्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने किया। वहीं मंच संचालन जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव कुमार विनीताभ ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता रिटायर्ड प्राचार्य लक्ष्मी कांत मिश्र ने किया। वहीं श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत हिन्दी एवं मैथिली के युवा कवि श्याम नंदन निशाकर के कविता (भरोस) एवं पूर्व सरपंच राजन चौधरी के मधुर संगीत से किया गया। वहीं अध्यक्षीय भाषण करते हुए श्री मिश्र कहा कि वासुदेव बाबू की सरलता ही पहचान थी। परिवर्तन के दौर में भी नहीं बदले ये इनकी महानता है। महासंघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शशिकांत राय व जिला मंत्री मोहन मुरारी ने कहा कि महासंघ बनाने में इनकी भूमिका अहम थी। वासुदेव बाबू का सादगी, समर्पण, ईमानदारी, आदर्श, व्यक्तित्व से लोगों को ऊर्जा मिलती थी।नई पीढ़ी के लिए इनका आदर्श अनुकरणीय है। वहीं अन्य वक्ताओं ने वासुदेव बाबू की कृतियों का गुणगान किया।
वहीं राज्य महासंघ के संयुक्त मंत्री रामानंद सागर,समाजसेवी मुक्तेश्वर प्रसाद वर्मा,राम अनुग्रह शर्मा,सरपंच राजन चौधरी,कवि श्याम नंदन निशाकर, विजय कुमार राय,रमेश प्रसाद सिंह,नप बीहट के प्रथम उपाध्यक्ष पंकज मिश्र,प्राचार्य चंद्र कुमार,अरुण कुमार,प्रमोद सिंह,अधिवक्ता अशोक ठाकुर,मो दानिश महबूब,विनोद कुमार मिश्र,विनीत भूषण मिश्र,रंजीत कुमार सिंह,रविशंकर झा आदि ने वासुदेव बाबू के व्यक्तित्व के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा किया।
वहीं मौके पर संजय कुमार सिंह ने अपने बाबू जी को स्मरण करते हुए कहा कि बाबू जी एक जिंदादिल इंसान थे, हम उनके कर्तव्य पथ पर चलने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबू जी के अधूरे सपने को हम पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने वर्षों पूर्व मध्य विद्यालय गढ़हरा में स्थापित पुस्तकालय पर भी गहन चर्चा किया। इधर कुछ लोगों ने गढ़हरा दर्पण पुस्तक के दूसरे भाग को प्रकाशित करने हेतु अपना विचार रखा। वहीं मौजूद वक्ताओं ने कहा कि अब अगले साल से वासुदेव बाबू को वृहत रूप से याद किया जाएगा।