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भगत सिंह की बंदूक, देश की आजादी, अमीरी-गरीबी से मुक्ति और सांप्रदायिक एकता के लिए उठी – एआईएसएफ

बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।

शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस की संध्या पर ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन बेगूसराय नगर परिषद के द्वारा नगर क्षेत्र के वार्ड -3 ( उलाव) में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता नगर अध्यक्ष चंदन कुमार कर रहे थे। उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद करते हुए उन्हें अपना आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

इस विचार गोष्ठी के अवसर पर एआईएसएफ जिला सचिवमंडल सदस्य राजीव स्वराज ने शहीदे- आजम भगत सिंह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि 23 मार्च का यह दिन हमारे लिए गौरव का भाव भी पैदा करता है और दर्द का भाव भी। इसी दिन भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी के फंदे पर लटका दिया था। भगत सिंह ने भारत के आजादी के आंदोलन में एक वैचारिक आधार दिया था। वे आजीवन देश के अंदर सांप्रदायिक एकता और बराबरी की बात करते रहे। वे कहते थे कि यदि देश से गोरे अंग्रेज चले जाए और काले अंग्रेज आ जाए तो इस आजादी का देश के किसानों मजदूरों और आम लोगों के लिए कोई महत्व नहीं रह जाएगा।

भगत सिंह एक ऐसे भारत बनाने की बात करते थे जहां अमीरी गरीबी का कोई भेदभाव ना हो। भगत सिंह के व्यक्तित्व का निर्माण ही समाजवाद और साम्प्रदायिकता की मुखालिफत से होता है। हम भगत सिंह के सांप्रदायिक एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जब उनके गुरु लाला लाजपत राय हिंदू महासभा के साथ खड़े हुए तो सरदार भगत सिंह ने उनका भी खुले तौर पर जोरदार विरोध किया। लेकिन यह विरोध वैचारिक था। आमतौर पर यह अवधारणा बना दी गई है कि भगतसिंह एक ऐसा नौजवान थें जिन्होने एक दिन बंदूक उठाया , दो लोगों को मार दी और फांसी पर चढ़ गये। लेकिन ऐसा नहीं था। वे लगातार विचार कर रहे थे कि यदि हमें भारत को आजाद कराना है तो हिंसा से बचते हुए बड़ा संगठन बनाना पड़ेगा। जिसका आधार मजदूरों में होगा किसानों में होगा। जो लोकतांत्रिक तरीकों से देश की सत्ता पर कब्जा कर सके।

हमारा मानना है कि यदि 23 वर्ष की उम्र में उन्हें फांसी नहीं दी जाती तो उनकी क्रांति केवल हथियारों तक ही सीमित नहीं रहती। वे जनआंदोलन को लेकर और लंबा विचार करते। शायद हमें अलग भगत से दिखाई देते। जब हम उनके द्वारा लिखे गए पत्र को पढ़ते हैं तो साफ दिखाई देता है कि वह किस भारत का सपना देखते थे?

उनका साफ कहना था कि इस देश से गरीबी हटाने होगी, लोगों को एक बराबर बनाना होगा,हर तरह की धार्मिक विभेद की चीजें खत्म करनी होंगी हमें एक ऐसा भारत बनाना होगा जहां कोई किसी का शोषण ना कर सके। हमें शहीद-ए-आजम के इस शहादत दिवस के अवसर पर उनके बताए रास्तों पर चलने का प्रण लेना होगा, हमें शहीदे आजम भगत सिंह के सपनों का देश बनाना होगा। यही उनके प्रति यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस विचार गोष्ठी के अवसर पर गुलशन कुमार, मनोहर,विराट,संजय शिवम् आदि। छात्र नेताओं ने भी अपनी बातों को रखा।

By National News Today

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