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ग्राम रक्षा दल अर्दली करने को विवश :: सरकार द्वारा इन्हे स्थाई या अस्थाई कर्मी के रूप में बहाल करने का प्रावधान लागू नही

बछवाडा़ :~ बेगूसराय ::-

@ ठगी का शिकार, बना रही सरकार

राकेश यादव :–

 

गुजरे जमाने के सामंती जमींदार एवं वर्तमान की लोकतांत्रिक सरकार में कोई अंतर नहीं है।
थानों में कार्यरत ग्राम रक्षा दल भी सरकार के इन्ही नीतियों का शिकार है।

बैशाख की कड़ी धुप हो या सावन-भादो के बाढ़ एवं बरसात का पानी, गांवों में लगने वाले विभिन्न मेले हों या सड़क का ट्राफिक। सभी सार्वजनिक स्थानों पर चौकीदारों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले ग्राम रक्षा दल को वर्ष 2012 में तत्कालीन सरकार ने पुनः अस्तित्व में लाया था।

बछवाडा़ के ग्राम रक्षा दल की बात करें तो तत्कालीन थानाध्यक्ष मनोज कुमार महतो ने अखवारों एवं माईकिंग के माध्यम से गांवों, मुहल्लों एवं देहातों में संवाद भेजकर बेरोजगार युवाओं की बहुत बड़ी टोली इकट्ठा कराया था।
उक्त बेरोजगारों को ग्राम रक्षा दल की भर्ती की बात बताकर आवेदन मांगा गया।

तत्पश्चात बड़ी तादात में बेरोजगार युवकों ने आवेदन फार्म दिया था। तबसे अबतक लगातार काम लिया जा रहा है एवं प्रत्येक सोमवार को इनकी हाजरी के लिए थाना बुलाया जाता है। मगर इतने वर्ष गुजारने के बाद भी सरकार ने इन बेरोजगारों पर तिरछी नज़र भी डालना मुनासिब नहीं समझा है।

ग्राम रक्षा दल के बलराम यादव कहते हैं कि हमलोगों को सरकार लगातार ठगी का शिकार बना रही है।
हमलोगों के द्वारा किए गये विभिन्न आन्दोलनों के क्रम में डीएम एवं एसपी बेगूसराय के द्वारा बार-बार कल्याणकारी अश्वासन दिए गये। मगर नतीजा ढा़क के तीन पात हीं रहा। सरकार के शोषण के बीच अर्दली करने से हमलोगों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। बिना किसी वेतन, भत्ता एवं मानदेय के सिर्फ़ काम लिया जाता है।

वहीं ग्राम रक्षा दल के युनियन नेता नवनीत कुमार उर्फ लोथा कहते हैं कि भुखे भजन न होय गोपाला, लेलो अपनी कंठी माला। मंहगाई के इस दौड़ में सरकार हमलोगों से अर्दली कराना महज़ एक शोषण मात्र है।

इन लोगों को काफ़ी संघर्ष के बाद जिला पुलिस कप्तान के द्वारा लाठी एवं टार्च के रूप में झुनझुना थमा कर बच्चों की तरह फुसलाया गया।

बछवाडा़ में ग्राम रक्षा दल के रूप में काम करने वाले संजय महतो, रामसुदिन, अविनाश कुमार यादव, प्रमोद दास, अनुपम कुमार आदि ने बताया कि बछवाडा़ थाना अंतर्गत लगभग 300 ग्राम रक्षा दल कार्यरत हैं। जिसमें कुछ बाल बच्चों के रोटी की खातिर मजदूरी करने बिहार छोड़कर परदेश पलायन कर गये हैं। सरकार अगर हमलोगों को एक मनरेगा मजदूर की भांति दैनिक मजदूरी के तौर पर महज़ 170 रूपए भी देती तो किसी तरह गुजारा हो जाता।

इघर बेगूसराय एसपी कहते हैं कि माननीय उच्च न्यायालय के पारित आदेश संख्या सी डब्ल्यू जे सी 3720 के अनुसार उक्त ग्राम रक्षा दलों को एस आर ई कोष से लाठी एवं टार्च उपलब्ध कराया जा चुका है। इन्हे सरकार द्वारा किसी प्रकार का मासिक वेतन या भत्ता देय नहीं है। और न हीं फिलहाल सरकार द्वारा इन्हे स्थाई, अस्थाई कर्मी के रूप में बहाल करने का प्रावधान लागू किया गया है। सरकार द्वारा प्रावधान लागू किए जाने के पश्चात हीं किसी प्रकार की सुविधा दी जाएगी।

By National News Today

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