हिंदी साहित्य के जनक माने जाने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र की 172 वीं जयंती शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति कार्यालय सर्वोदय नगर बेगूसराय में मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की।
अध्यक्षीय संबोधन में शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म आज ही के दिन 1850 में हुआ था। 5 वर्ष की उम्र से ही साहित्य में रुचि जागृत होने लगी थी। 1867 में बंगाल नाटक विद्यासुंदर का हिंदी अनुवाद कर हिंदी में नाटक लिखने की शुरुआत की। “हरीशचंद्र चंद्रिका” “कविवचनसुधा” और “बालाबोधिनी”पत्रिकाओं का संपादन कर हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्होंने 150 से भी अधिक ग्रंथों की रचना की। ऐसे महान साहित्यकार को शत-शत नमन।
इस अवसर पर साहित्यकार डॉ चंद्रशेखर चौरसिया ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र भारतीय पुनर्जागरण के एक स्तंभ के रूप में मान्य है ।भाषा के क्षेत्र में उन्होंने खड़ी बोली को प्रतिष्ठित किया। ऐसे महान साहित्यकार को शत-शत नमन।
जेपी सेनानी के जिला अध्यक्ष अधिवक्ता राजेंद्र महतो ने कहा कि ऐसे महान हिंदी के साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को शत शत नमन।
इस अवसर पर महिला सेल सचिव सुनीता देवी, आसमा कुमारी ,मोहम्मद जावेद, अनिकेत पाठक, छात्रा आंचल कुमारी, अमर गौतम,लक्ष्मण अनेकों ने माल्यार्पण किया।