Wed. Dec 31st, 2025

 102 वीं स्मृति दिवस पर याद किए गए स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक 

बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।

सुखदेव सभागार सर्वोदय नगर में बाल गंगाधर तिलक की 102 वीं स्मृति दिवस मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की।

अध्यक्षीय संबोधन में शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष करते हुए, अपने आवाज को बुलंद की और 1908 में कई गतिविधियों के कारण कई बार जेल गए।वे 1908 में जब उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 6 वर्ष का कठोर कारावास दे कर मांडले भेजा तो उन्होंने जेल में रहकर है गीता रहस्य नामक पुस्तक लिख डाली । ऐसे स्वतंत्रता सेनानी महापुरुष शत शत नमन करता हूं।

इस अवसर पर नगर निगम के पूर्व मेयर आलोक कुमार अग्रवाल ने कहा की लोकमान तिलक का पुराना नाम बाल गंगाधर तिलक था। बचपन से ही तिलक में नैतिक तथा राजनीतिक गुणों का आंकलन हो चुका था। इसलिए वे तत्कालीन प्रतंत्रा से वे काफी क्षुब्ध थे। ऐसे महापुरुष ने 1881 में ही केसरी, मराठी ,एवं ‘मराठा’ (अंग्रेजी) सप्ताहिक का प्रकाशन किया। जनता में राष्ट्रीय चेतना जगाई। अमेरिका और यूरोप में उनकी कृतिओ रायन एवं आकृतिक होम नामक पुस्तकों के कारण फैली।

डॉ राजेश कुमार रौशन ने कहा की बाल गंगाधर तिलक को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया, और आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। स्कूल कॉलेज का इस दौरान छात्रों ने सरकारी स्कूल कॉलेजों का बहिष्कार कर दिया तथा लाखों कर्मी हड़ताल पर चले गए थे। 1857 के बाद इस आंदोलन में अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी। ऐसे महापुरुष को मेरा शत-शत नमन।

इस अवसर पर राजेन्द्र महतो (अधिवक्ता),आनाय कुमारी , आंचल कुमारी, आसमा कुमारी,राज कुमार गुप्ता , कामेश्वर राय और आंत में महिला सेल सचिव सुनीता देवी ने अपना विचार व्यक्त किया।

By National News Today

नेशनल न्यूज़ टुडे वेब पोर्टल के रूप में आप लोगों के बीच है। यह न्यूज़ पोर्टल "खबरें वही जो हो सही" को अक्षरसः पालन करते हुए, आपके बीच में सदैव ताजातरीन ख़बरों से अवगत कराते रहेंगे।

Related Post

You Missed