बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रखर क्रांतिकारी शहीद मंगल पांडे की 165 वीं शहादत दिवस शहीद स्थल तेढ़ीनाथ मंदिर के सामने, शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति द्वारा शहीद स्थल पर मंगल पांडे की शहादत दिवस मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मंगल पांडे का जन्म 1827 को हुआ था। 1857 में आज ही के दिन उनको फांसी दे दी गई। ऐसे क्रांतिकारी मंगल पांडे, अंग्रेज के सिपाही रहते हुए भी विरोध कर दिया। क्योंकि उस समय जो गोली बनाई जाती थी उसमें गाय की चर्बी और सुअर की चर्बी मिलाकर बनाई जाती थी।
हिंदू मुस्लिम दोनों को भ्रष्ट करने के लिए अंग्रेज सरकार ने ऐसा किया। इसलिए मंगल पांडे को इसका विरोध करने के लिए उनको कैद कर लिया। कैद से पहले मंगल पांडे ने अपनी ही बंदूकों से अंग्रेज के पदाधिकारियों को भून डाला। ऐसे महान क्रांतिकारी मंगल पांडे जो भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे जो अंग्रेज के खिलाफ आवाज उठाई। क्रांतिकारियों में बौखलाहट छा गया ,जिसमे खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, वीर कुंवर सिंह, उधम सिंह अनेकों क्रांतिकारियों में इस घटना से खून खौल उठा। ऐसे महान क्रांतिकारियों को शत-शत नमन।
इस अवसर पर साहित्यकार चंद्रशेखर चौरसिया ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम पंक्ति के क्रांतिकारी थे। जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी। उनको शत-शत नमन।
इस अवसर पर समिति के जिला अध्यक्ष सुशील कुमार राय ने कहा कि मंगल पांडे 1857 में आजादी की पहली जंग का आगाज किया था। अपनी बंदूक से अंग्रेज लेफ्टिनेंट बॉग सर्जन मेजर हडसन को मार गिराने का काम किया था।
इस अवसर पर नंदन चौधरी, मोहम्मद इरफान, साईं भक्त रंजीत ठाकुर, मोहम्मद जुल्फिकार अली, कमर जावेद, ने ऐसे महान क्रांतिकारी को शत-शत नमन किया।