शिक्षक संस्थान बंद होने से नही मिल रहे मूर्तियों के खरीदार मूर्ति कारों की बढ़ी चिंता।
मंसूरचक, बेगूसराय, मिंटू कुमार झा।।
मंसूरचक में विद्या की देवी माता सरस्वती की प्रतिमा निर्माण में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं और उनके बच्चे भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। यहां 1000 से अधिक माता की प्रतिमा बनाई जाती है। इसको लेकर मंसूरचक बाजार स्थित कुम्हार टोला जहां पिछले सौ वर्षो से दर्जनों परिवार मूर्ति बनाने के धंधे से जुड़े हुए हैं।
मूर्ति निर्माण से जुड़े रामदयाल पंडित, आशा देवी, शंकर पंडित, दिलीप पंडित, सुनील पंडित, अशोक पंडित, श्रवण पंडित किरण देवी, सहित दर्जनों मूर्तिकार द्वारा लगभग एक हजार से अधिक सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में दिन-रात जुटे हैं।
यहां की बनाई मूर्ति समस्तीपुर, बेगूसराय, मंझौल, जंदाहा, विद्यापतिनगर, साठा, बछवाड़ा, विभूतिपुर, रोसड़ा, मोहिउद्दीननगर, पटोरी, उजियारपुर, नाजिरगंज सहित अन्य स्थानों पर स्कूल, कॉलेज, विभिन्न शिक्षण संस्थानों के लोगों द्वारा ले जायी जाती है।
कोलकाता से मंगाई जाती है सामग्री।
इस बार बाजार में सामान्य मूर्ति के साथ-साथ लोगों के द्वारा अपने पसंद से बनाई गई भव्य प्रतिमा उपलब्ध है, जिसकी कीमत 500 से लेकर 11 हजार रूपए तक है। हर साल की तरह इस बार भी पुरुष के साथ-साथ कई महिलाएं व उनके बच्चे भी मूर्ति निर्माण में हाथ बंटा रही है।
मूर्तिकार का कहना है कि इसके निर्माण में लगने वाली सामग्री मिट्टी, लकड़ी, बांस, पुआल, रुई, कांटी, सुतली की व्यवस्था स्थानीय स्तर से तथा कलर सहित सजाने की सामग्री कलकत्ता से मंगाई जाती है।
मूर्तिकार रामदयाल पंडित ने बताया कि कोरोना को देखते हुए पिछली बार की तरह इस बार भी मूर्ति की कीमत में बढ़ोतरी नहीं हुई है। वहीं, महिला मूर्तिकार आशा देवी ने कहा कि मूर्ति निर्माण में लगने वाली सामग्रियों का रेट बढ़ता ही जा रहा है। परंतु मूर्ति की कीमत आज भी वहीं है। इससे परिवार चलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मूर्तिकारों ने बताया कि तीसरी लहर के वजह से हम लोग को बड़े आर्थिक नुकसान की संभावना पैदा हो सकती हैं। इस महंगाई के जमाने में मिट्टी, खर, बांस, सूत, रंग, पेंट मजदूरी एवं अन्य सामग्री में ऊंची लागत लग रही है।
अब तक एक हजार मूर्तियां तैयार की गई है। जिसमें अधिकांश मूर्ति का बयाना नहीं मिला है। वही हम लोग पूरे साल बसंत पंचमी का इंतजार करते हैं। हमारी पूरी कमाई इसी समय होती है, लेकिन इस साल कमाई की संभावना नहीं दिख रही है। कमाई नहीं होने की वजह से हम लोगों को कर्ज लेकर गुजारा करना पड़ता है। इस साल भी सब कुछ भगवान भरोसे ही है।