बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।
प्रत्येक गांव में केरल सरकार की तरह सामुदायिक सार्वजनिक कीचन की व्यवस्था तो दूर की बात है, ऑक्सीजन की कमी, कोविड 19 वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की ऑक्सीजन एवं वेंटिलेटर की कमी और अस्पतालों की अस्त-व्यस्त पस्त व्यवस्था के कारण लगातार बढ़ती मौत की खबरें तथा लॉक डाउन की अवधि में विस्तार की अनिवार्यता के बीच सरकार की कोरोनावायरस संकट से निपटने की व्यवस्था के नाम पर अगर कुछ दिखता है तो वह है पुलिस गाड़ियों की सायरन बजाती डरावनी आवाजें और चौक चौराहों पर बरसती पुलिस की लाठियां।
उक्त प्रतिक्रिया एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सीटू बिहार राज्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने व्यक्त किया । वामपंथी दलों और ट्रेड यूनियन आंदोलन की ओर से आयकर सीमा से बाहर के बेरोजगारों, निजी वाहन चालकों, फुटपाथ दुकानदारों, छोटे व्यवसायियों, निजी स्कूलों एवं प्राइवेट कोचिंग व ट्युशन पर आधारित जीवन जीने वाले बेरोजगारी से अभिशप्त शिक्षकों सहित अन्य सभी संगठित असंगठित क्षेत्र के कामगारों को कोरोनाकालीन लाॅक डाउन भत्ता 7500/- से 10000/- मासिक रुप से देने, मुफ्त एवं सार्वभौम कोविड बचाव वैक्सीन तथा मेडिकल मास्क देने की गारंटी करने, बिजली बिल सहित सभी प्रकार के कर्जों की माफी सुनिश्चित करने, सभी गांवों एवं पंचायतों में कोविड बचाव सेना यथा आशा, ममता, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका व अन्य शिक्षक कर्मचारियों को कोविड बचाव सुरक्षा कीट उपलब्ध करवाने की गारंटी सुनिश्चित करने की लगातार मांगें किए जाने के बावजूद अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है ।
उल्टे कोविड इलाज की दवाइयों, मेडिकल मास्क आदि की शर्मनाक जमाखोरी और कालाबाजारी जैसी लूट ने तो जले पर नमक छिड़कने जैसा शर्मनाक अवस्था पैदा कर दी है। लगता ही नहीं है कि इस देश और खासकर बिहार में कहीं भी कोई लोकतांत्रिक तरीके चुनी गई जनहितकारी सरकार का कोई अस्तित्व है ।
हद की सारी सीमाएं तब पार हो गई लगती है जब मटिहानी प्रखंड कार्यालय से सटे लगभग पांच सौ मीटर पूरब सैदपुर ऐमा पंचायत और मटिहानी एक पंचायत के रामपुर मटिहानी, रामपुर बसवन,गोदरगामा, लालपुर डमूर किनार और सैदपुर गांवों सहित कई अन्य गांवों में वैक्सीनेशन और मेडिकल मास्क वितरण कार्यक्रम का एक बार भी कोई कैम्प नहीं लगाया जा सका है ।
ज्ञातव्य हो कि सैदपुर ऐमा पंचायत में एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी स्वीकृत है तब भी ये अवस्था विद्यमान है । एक दो दिन के अन्दर इन गांवों में मेडिकल मास्क वितरण एवं वैक्सीनेशन की व्यवस्था नहीं की गई तो परिस्थितिजन्य आन्दोलन की सारी जिम्मेदारी बिहार सरकार, जिला अनुमंडल एवं मटिहानी प्रखंड प्रशासन की होगी।