बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।
भारत के वीर महापुरुष, महान योद्धा, राष्ट्र रत्न महाराणा प्रताप की 481वी जयंती बाबू वीर कुंवर सिंह चौक पनहांस मे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनाया गया। इस क्रम मे जदयू समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष गौरव सिंह राणा, बाईट कम्प्यूटर के निदेशक संजय कुमार सिंह, शिक्षक नेता अमरेन्द्र सिंह, ग्रामीण प्रदीप सिंह, विरेन्द्र सिंह, बबलू सिंह, दुर्गा रजक, राजा कुमार, सहित दर्जनो लोग मौजूद थे। सबो के द्वारा बारी बारी से महाराणा प्रताप के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
माल्यार्पण के उपरांत जिलाध्यक्ष गौरव सिंह राणा ने कहा की पूरे देश मे महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है। महाराणा प्रताप को स्वाभिमान का प्रतिक भी कहा जाता है। इन्होने राजमहल को त्यागकर जंगल जंगल घूमकर घास की रोटी खाना स्वीकार किया लेकिन कभी भी मुगल बादशाह अकबर की गुलामी नही की। इनका जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था।
वहां पर मौजूद बाईट कम्प्यूटर के निदेशक संजय सिंह ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप ने अपनी प्राण न्योछावर किया। उन्होने हल्दी घाटी युद्ध मे मुगल बादशाह अकबर को पराजित किया था। उनके इस जीत मे भामा साह और उनका स्वामिभक्त चेतक घोडा के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। महाराणा प्रताप की मृत्यु बिमारी के कारण हो गई थी। आज के युवाओ को इनकी जिवनी से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महाराणा प्रताप का जन्म आज ही के दिन 9 मई 1540 में हुआ था और मृत्यु 19 जनवरी 1597 को हो गई। ये प्रथम स्वतंत्रता सेनानी के नाम से जाने जाते हैं।
वहां मौजूद सभी लोगों ने महाराणा प्रताप के प्रति अपने अपने विचार प्रकट किये।