मंझौल/बेगूसराय, अविनाश कुमार।
बिहार के बेगूसराय जिले का अति प्राचीन, प्रसिद्ध व एतिहासिक थुम बाबा वीरभद्र मंदिर, मंझौल में गुुरुवार को फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष दुआदशी, शिव पुराण के अनुसार अति महत्वपूर्ण दिवस पर पंच श्रृगी के द्वारा महारुद्रा अभिषेक एवं शिव सहस्त्र पाठ का अनुष्ठान की शुरुआत आचार्य कन्हैया झा, साहयक उमाशंकर ठाकुर, संचालक चंदन ठाकुर, दीपक कुमार गीरी के साथ इक्कीस ब्रह्मन देवता के द्वारा की गयी।
इस मंदिर व इस अनुष्ठान के बारे में व्योवृद्ध पंडित कन्हैया झा जी ने बताया कि जयमंगलागढ़ एवं मुनि बाबा मंदिर के बीच में बसने वाली नगरी थुम, मंझौल है। सम्पूर्ण विश्व में भाग्यवान वीरभद्र की दो ही मंदिर है। जिसमें पहला वीरभद्र मंदिर भारत के बिहार राज्य के बेगुसराय जिले के मंझौल में बाबा वीरभद्र मंदिर अवस्थित है। जबकि दूसरा दक्षिण भारत के कर्णाटका राज्य में अवस्थित है। इस वजह से भी उत्तरी भारत में इस मंदिर यानी बाबा वीरभद्र मंदिर थुम मंदिर मंझौल, बेगूसराय का विशेष महत्व है।
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार जब माता सती ने अग्नि कुण्ड में कुदकर अपना जीवन त्याग कर दी थी, तब भगवान महादेव यानी भोले नाथ ने कोद्ध में अपनी जटा तीनवार पटकी। इससे तीन महायोद्धा परकट हुए।
1. वीरभद्र 2. कुमार साहब और 3 कृति मुख।
जिसमें वीरभद्र को राजा प्रजापति के साथ युद्ध करने का आदेश भगवान भोले नाथ ने दिया। इस युद्ध में योद्धा भगवान वीरभद्र ने राजा प्रजापति का सर, धर से अलग कर दिया, भिरगू जी का मोछ उखाड़ फेंका तथा पुसा का बत्तीसी झाड़ दिया। सम्पूर्ण युद्ध स्थल को विराण कर डाला। उसके बाद जब योद्धा वीरभद्र विश्व संघारक व विश्व पालक भगवान शंकर के सामने उपस्थित हुए। तब भगवान भोले नाथ ने वरदान दिया कि आज से उन्हीं की तरह भगवान वीरभद्र की पूजा सम्पूर्ण संसार में की जायेगी। भगवान वीरभद्र की जो भी भक्त पूजा करनेंगे वह मनोवांछित फल पायेंगें।
इस विषेश अनुष्ठान पूजा पर भारत के प्रसिद्ध नागा बाबा श्री महेंद्रपूरी का आगमन हुआ। जो इस अनुष्ठान के महत्व को और भी बढ़ा दिया। इस तरह अनुष्ठान में समस्त मंझौल ग्रामवासियों ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
इस मौके पर मुख्यरूप से पूजा की विधि व्यवस्था में तन मन व धन से समाजिक कार्यकर्ता निरंजन सिंह, रुपेश सिंह, गुड्डू सिंह, सुचिंत कुमार, दिपक कुमार, कन्हैया कुमार उर्फ विधायक सिंह, सनोज यादव के साथ वर्ती दम्पति सदानंद गीरी, गुड्डू सिंह, शंभु सिंह, निरंजन सिंह, के अलावे दर्जनों गणमान्य दम्पति इस विशेष अनुष्ठान में सामिल होकर मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना की।
आज मंझौल का संपूर्ण वातावरण अध्यात्मिक वातावरण में तब्दील हो चुका है। औलौकी दृश्य देखने को मिल रहा है।