बेगूसराय ::–
विजय कुमार सिंह ::–
24 नवम्बर 2020, मंगलवार
शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति के तत्वधान में सर्वोदय नगर सुखदेव सभागार में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के योद्धाओं और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुति देकर, अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाई। वैसे योद्धाओं को याद किया गया। इस कार्यकर्म की अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार ने की।
अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि झलकारी बाई का जन्म 1830 झांसी के भोजला में हुआ था। वह लक्ष्मीबाई की समरूप बिरंगाना थी। 4 अप्रैल 1897 को उन्होंने वीरगति को प्राप्त की। ऐसे महान क्रांतिकारी महिला को मेरा सत सत नमन।
इस अवसर पर सरोज चौधरी ने कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की हमशक्ल थी। और रन चित्र में अगली पंक्ति में हुआ करती थी।
इस अवसर पर महिला सेल के सचिव सुनिता देवी ने कहा कि बुंदेलखंड वीर रस के लोकगीतों की प्रेरणा थी। और उन्होंने कहा कि साहसी महिला के तौर पर हम उन्हें याद करते रहेंगे। गुलाम भारत को आजाद करने में झांसी की रानी, झलकारी बाई, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस आदि क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में अपनी शहादत दी।
इस अवसर पर अर्चना कुमारी शिक्षिका ने कहा कि झलकारी बाई को भारत सरकार ने सम्मान में डाक टिकट जारी कर चुकी है और लक्ष्मी बाई के फौज की सेनापति थी।
इस अवसर पर आलोक कुमार इंजीनियर ने कहा कि झलकारी बाई की वीर रस के लोकगीत भारत के कोने कोने में गूंजती रहती है।
खुशी सिंह इंजीनियर ने कहा कि झलकारी बाई हमारे देश की ऐसी भारतीय नारी थी। जिन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर गुलाम भारत को आजाद कराने में झांसी रानी की दाहिना हाथ थी। जिनको लोग रानी लक्ष्मीबाई की समरूप कहती थी।
इस अवसर पर आसमा, आंचल कुमारी, छात्र आर्यन कुमार, छात्र अनिकेत पाठक, अभिषेक पाठक आदि ने झलकारी बाई को याद किया।


