सारण – छपरा कार्यालय ,
6 जून , शनिवार ,
ब्यूरो प्रमुख – चंद्र प्रकाश राज ,
केरोना महामारी बनी करोना माई 
# पुजाई के बाद लौंग लड्डू की हो रही है जमीन में गड़ाई
राणा परमार अखिलेश दिघवारा (सारण)
केरोना महामारी की तरह महिलाओं में अंधविश्वास रूपी संक्रमण का फैलाव तेजी से जारी है। महिलाओं ने केरोना महामारी को करौना माई कह खेतों, खाली जमीनों आदि में विधिवत पुजाई कर रही हैं ।
लड्डू लवंग, लाल व पीला फूल से पुजाई के पूर्व पूजा स्थान सफाई, निपाई, थार भराई हुमाद, धूप अगरबत्ती जलाई ठेहिया धराई ‘ हे करौना माई आपन बाली फुलवारी बचा के राखऽ। अब भूल चुक छेमां काऽ!! दोहाई करौना माई के।’ इस प्रकार पूजनोपरान्त लड्डू लवंग वहीं गाड़ कर महिलाएं सीधे अपने घर आकर हाथ पांव धोकर तब दिनचर्या शुरू करती है।
शनिवार को अहले सुबह यह नजारा छुपकर देखने और सुनने को मिला । बहरहाल, हम किस शताब्दी में हैं और यह अफवाह कहाँ से आयी? हाँ लड्डू व लवंग की बिक्री बढ़ गई है और लग रहा है कि कैरोना लाॅक डाऊन में बंद मिठाई की दुकानों का घटा लड्डू की बिक्री से भरपायी व अच्छी कमाई हो रही है।
कहना न होगा कि ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र में अब भी जादू टोना, टोटका आदि पर विश्वास करने वालों में पढ़े लिखे और अनपढ़ सभी हैं । आज भी दरिया पुर प्रखंड के ‘कपड़फोरा’ गांव में गिरि बाबा, दिघवारा राईपट्टी में भगतजी और मुजौना गांव में पांडे बाबा के यहाँ शुक्रवार व सोमवार तो कहीं रविवार व मंगलवार को भीड़ देखी जा सकती है।
चेचक में नीम की पत्तियों से उभरे हुए दानों की धुलाई, तीन दिनों तक बेराई के बाद पुजाई की परंपरा आज भी है। वर्ष 1979 में गंगा पुजाई, महिलाओं के मैके से आयी पीले वस्त्रों से होने की अफवाहों ने कपड़े दुकानदारों की बिक्री बढ़ा दी। गंगा मैया के यहाँ से मिले मिट्टी के टैबलेट व कैप्सूल छोटे मनुष्यों के लिए व बड़े पशुओं के लिए महिलाएं ले आयीं।
बहरहाल कपङे दुकानदार व नीम हकीम से लेकर डाक्टरों की अच्छी कमाई हुई भले ही कुछ लोगों की आर्थिक व शारीरिक हानि हुई । कुछ ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ शरारती तत्वों ने अफवाहों को फैलाने का कार्य किया हो।

