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सरकार की लचर व्यवस्था के कारण अब तक सुरक्षा और संरक्षा की तमाम घोषणाएं डपोरशंखी साबित :: अंजनी कुमार सिंह

बेगूसराय ::–

02अप्रैल 2020

गुरुवार

केन्द्र सरकार और बिहार सरकार की लचर व्यवस्था के कारण अब तक सुरक्षा और संरक्षा की तमाम घोषणाएं डपोरशंखी साबित हो रहा है। COVID19 अपने रफ्तार से बढ़ रहा है। सामाजिक दूरी ही बचाव के लिए एक मात्र विकल्प है। इसके लिए 21 दिनों का लाॅक डाउन तो घोषित है वह भी वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में अराजकता की भेंट चढ़ चुका है। यह बातें सीटू राज्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहीं।

उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति केे माध्यम सेे कहा कि लॉक डाउन का 1 सप्ताह बीत चुका है आम जनता अपने घरों में कैद है। उसको उनके घरों में रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े आवश्यक आवश्यकता की सामग्रियों को मुहैया कराने का सवाल अभी तक अनुत्तरित है। कृषि और पशुपालन आधारित जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है । गेहूं की पकी फसलें कटनी को तैयार है, अगर रवी फसल कटाई का वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया गया। तो बिहार और खासकर बेगूसराय जिला अगले एक-दो साल तक भूखमरी का शिकार बना रहेगा।

पशुपालकों की समस्या और भी जटिल है, पशुचारा के अभाव में दुग्ध उत्पादन ठप्प हो जायेगा। सरकार राशन कार्ड के जरिए राशन देने की घोषणा कर रही है, राशन कार्ड में अराजकता का आलम यह है कि राशन कार्ड के आधार पर सबको राशन मिलेगा ही नहीं। रसोई गैस सिलेंडर केवल उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को देने की घोषणा की गई है। बाकी ग्रामीण और शहरी जनता राशन और रसोई इंधन के अभाव में भूखमरी का शिकार हो जाएगा।

उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए लोगों की इम्युनिटी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। जबकि सरकार की व्यवस्था उसे भुखमरी की ओर धकेल रही है । इस व्यवस्था में तो सरकार ही जनता को कोविड-19 का शिकार बना देगी । दूसरी ओर अस्पतालों और चिकित्सीय व्यवस्था की हालत यह है कि न तो कोविद 19 की जांच कीट सही मायने में कहीं उपलब्ध है ही नही। जान जोखिम में डालकर सेवारत डाॅक्टर, नर्स और अन्य चिकित्सा कर्मियों के लिए मास्क आदि सुरक्षात्मक उपकरणों की व्यवस्था की गई है। ऐसे हालत में जनता, कोविद 19 से संक्रमित बीमारी और उसके इलाज में सेवारत डाॅक्टर एवं चिकित्सा कर्मियों
तीनों को भगवान के भरोसे छोड़ा जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण पीड़ादायक एवं शर्मनाक है ।

बड़े पैमाने पर देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले बिहार के बेरोजगार नौजवानों ,जो अपना श्रम बेचने के लिए विभिन्न शहरों में भटकते रहते हैं की हालत तो और ज्यादा चिंताजनक है। जहां काम करते थे, वहां से भगाया जा रहा है ,आने जाने की कोई व्यवस्था नहीं, सरकार लॉक डाउन करके ,जो जहां है उन्हें वहीं रुकने की घोषणा कर अपना पिंड छुड़ा लेना चाहती है, लेकिन वहां ठहराव की कोई व्यवस्था है ही नहीं, परिणाम मानवता का सबसे ख़तरनाक दृश्य उपस्थित कर दिया है। दिल्ली और दूसरे अन्य शहरों से पैदल बिहार आने वाले की हालत की कल्पना मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं, उसमें भी बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हों तब तो स्थिति और भी दर्दनाक ।

हद तो यह है कि लॉक डाउन के बाद संपूर्ण बाजार ही जमाखोरों और कालाबाजारियों के गिरफ्त में चला गया है
अपने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सीटू राज्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने आधार कार्ड दिखाओ – राशन और गैस सिलेंडर पाओ की नीति लागू करने, सदर अस्पताल सहित सभी रेफरल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना जांच कीट एवं डॉक्टर नर्स सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने, रवि फसल की कटाई के लिए आवश्यक उप कृषि उपकरण उपलब्ध कराने कथा जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगाने की मांग करते हुए अनुमंडल पदाधिकारी जैसे संवेदनशील पद पर आसीन पदाधिकारियों द्वारा इस महा आपदा काल में मोबाइल रिसीव नहीं करने की अवस्था पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है इसमें अविलंब सुधार लाया जाना चाहिए।

By National News Today

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