भोजपुर–
बबलू कुमार–
19 दिसंबर 2019
गुरुवार
भोजपुर में सीएए और एनआरसी को वापस लेने की केंद्रीय मांग के साथ वाम दलों के राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद व बिहार बंद के तहत भोजपुर के गड़हनी में आरा-सासाराम स्टेट-हाई-वे पर जाम कर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी किया गया। जिस कारण से कई सड़क के यातायात प्रभावित हो गए।
ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और जाम में मौजूद लोगों ने मोदी-अमित शाह की तानाशाही के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद किया।
इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, माले गड़हनी सचिव नवीन कुमार, जिला नेता राम छपित राम, अवधेश पासवान व जनकवि निर्मोही, इंसाफ मंच के अध्यक्ष मुमताज, युवा नेता सोनू के नेतृत्व में बन्द सफल रहा। गड़हनी बाजार पर गांव से आये माले कार्यकर्ता मजदूर-किसान-छात्र-युवा-महिला, वाहन-चालक, दुकानदारों व न्यायपसंद लोगों ने बन्द को भारी समर्थन दिया और एक स्वर में एनआरसी-सीएए वापस लेने का नारा बुलंद किया।
बन्द की सभा की अध्यक्षता सह संचालन जिला नेता राम छपित राम ने किया। सभा को संबोधित करते हुए माले नेता मनोज मंजिल ने कहा कि आज देश भर के छात्र और यूथ ने ऑल इंडिया बन्द का आह्वान किया है और तमाम कॉलेज कैम्पस बन्द है। बिहार बन्द है।
उन्होंने कहा कि 19 दिसंबर का दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायकों और ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ के गायक रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और रोशन सिंह की शहादत दिवस भी है। इसी दिन अंग्रेजी हुकूमत ने इन तीन क्रांतिकारियों को क्रमशः गोरखपुर, फैजाबाद व नैनीजेल (इलाहाबाद) में फांसी के तख्तों पर लटका दिया था। उन्होंने कहा कि मोदी-अमित शाह सरकार का नागरिकता संशोधन कानून व एनआरसी पूरी तरह संविधान की मौलिक संरचना तथा आजादी के आंदोलन के संपूर्ण मूल्यबोध के खिलाफ है। आज पूरे देश में इसका तीखा प्रतिवाद हो रहा है। विगत कई दिनों से पूर्वोत्तर के राज्यों में आंदोलन जारी है। दुर्भाग्य यह कि आंदोलनकारियों को बर्बर मिलिट्री दमन का सामना करना पड़ रहा है। असम में अबतक कई लोगों की मौत हो चुकी है।
भाजपा द्वारा एनआरसी (नागरिकता का राष्ट्रीय रजिस्टर) योजना के कारण असम की जनता, खासकर गरीब, वंचित समुदाय व अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में भय-आतंक का माहौल बना। उसका नतीजा आज पूरा देश देख रहा है। नागरिकता सूची से 19 लाख 60 हजार लोगों को बाहर कर दिया गया, जिसमें करीब 13 लाख हिंदू समुदाय के गरीब लोग हैं। नागरिकता-विहीन लोगों को डिटेंशन कैंपों (यातना शिविरों) में बंद कर उन्हें सड़ाया-मारा जा रहा है। कैंपों में अभी तक 6 महीने के दुधमुहे बच्चे से लेकर वृद्ध तक कुल 29 निर्दोष नागरिक मारे जा चुके हैं। लेकिन इससे सबक लेने की बजाए सरकार उलटे एनआरसी को पूरे देश में थोप रही है।
इंसाफ मंच के नेता मुमताज ने कहा कि एनआरसी की ही अगली कड़ी में धार्मिक भेदभाव पर आधारित सीएबी लाया गया, जिसका सर्वाधिक शिकार देश के आम-अवाम और सभी जाति-समुदाय के गरीब व वंचित लोग होंगे।
देश के करोड़ों नागरिकों को नागरिकता-विहीन करने की इस साजिश को नाकाम करना होगा। नागरिकता से ही हमारे सारे अधिकार बनते हैं। यह बेहद स्वागतयोग्य है कि इसके खिलाफ आंदोलन की आग पूरे देश में फैल रही है।
बन्द में ब्लाॅक कमिटी नेता रामबाबू यादव, भीम पासवान, फिदा हुसैन, ओमप्रकाश, श्यामलाल, सम्राट, इन्द्ददेव सहित छात्र नेता उज्ज्वल भी शामिल रहे।