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12 नवंबर 2019
मंगलवार–
स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की 131 वीं जयंती को शिक्षा दिवस के रूप में कारवाने उर्दू जिला, बेगूसराय के कार्यकर्ताओं ने दारुल अदब लाइब्रेरी फुलवरिया के गुलाम सरवर हॉल में जोशो खरोश के साथ मनाया।
इस मौके पर कारवाने उर्दू के जिला सचिव मो0 असजद अली ने कहा कि देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का 131वां जन्मदिन है। वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, लेखक थे। उन्हीं के जन्मदिन पर हर साल 11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 अरब के मक्का शहर में हुआ था।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का असली नाम अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन है। लेकिन उन्हें मौलाना आजाद नाम से ही जाना जाता है। मौलाना आजाद महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया और वो अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे।

स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना आज़ाद ने शिक्षा के क्षेत्र में कई अतुल्य कार्य किए। भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर उन्होंने नि:शुल्क शिक्षा, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अत्यधिक के साथ कार्य किया। मौलाना आजाद को ही ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ (IIT) और ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ (UGC) की स्थापना की थी।
इसी के साथ उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की थीउन्होंने संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) की स्थापना की थी.
वही करवाने उर्दू के जिला अध्यक्ष मौलाना फैजुर रहमान ने कहा कि मौलाना आजाद हिंदू मुस्लिम एकता के एक मिसाल थे। उनका मानना था कि कोई भी देश उस वक्त तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक पूरे देश तालीम याफ्ता नहीं होगा। इसलिए इंसान की शख्सियत की मुकम्मल तामीर का नाम तालीम है। मौलाना आजाद की पूरी जिंदगी हिंदुस्तान वासियों के लिए एक नमूना है। उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज को रोशनी दिखाने के बराबर होगा। उनहोने अपनी पूरी जिंदगी हिंदुस्तान की तरक्की के लिए कुर्बान कर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कारवांने उर्दू के जिला प्रवक्ता मौलाना अमानुल्लाह खालिद कर रहे थे। जबकि संचालन रुस्तम आजाद ने किया। इस दुआया मजलिस की आगाज मुफ़्ती क़याम ने कलामुल्लाह शरीफ की आयत पढ़कर किया और आखिर में उनके लिए दुआ की गई। मौके पर मो0 सैफ उर्फ राजा, अब्दुल हकीम, मौलाना अबुल कलाम मोज़ाहरी, मुफ़्ती क़याम, मो0 सज्जाद, मो0 इंतेखाब, मो0 अंजर अली सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।