भोजपुर(आरा) ::–
बबलू कुमार ::-
8 नवंबर 2019
शुक्रवार
भोजपुर जिला जल एवं स्वच्छता समिति के तत्वावधान में यूनीसेफ की विशेषज्ञ टीम द्वारा खुले में शौच से मुक्त के स्थायित्व एवं सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन विषय पर पंचायत प्रतिनिधियों, स्वच्छाग्रही एवं प्रखंड स्तरीय अधिकारियों एवं कर्मियों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन विद्या भवन सभागार में किया गया।
कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर डायरेक्टर डीआरडीए प्रमोद कुमार, स्वच्छ भारत प्रेरक निखिल कुमार तथा पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए डायरेक्टर डीआरडीए ने मानव जीवन में स्वच्छता का महत्व एवं सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन की वांछनीयता तथा जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए पंचायत प्रतिनिधियों से स्वच्छ, सुंदर एवं स्वस्थ भारत के निर्माण हेतु सक्रिय एवं तत्पर होने पर बल दिया।
ट्रेनर के रूप में यूनिसेफ के मजहर खान, अखिलेश कुमार, दूधेश्वर प्रसाद ने वर्तमान बदलते परिदृश्य में स्वच्छता अभियान के लिए सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन हेतु नवीन आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धति के अनुरूप कार्य करने को कहा। लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत प्रथम चरण में भोजपुर में स्वच्छता संग्राम के तहत जिला को खुले में शौच से मुक्त किया गया। द्वितीय चरण में अब लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाकर उन्हें अपने घर में निर्मित शौचालय के उपयोग करने तथा दूसरों को भी इस कार्य हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए प्रशिक्षणार्थियों को कई नई तकनीकी जानकारी देकर गांव टोले मोहल्ले में जागरूकता अभियान के तहत सामुदायिक रूप से लोगों को शौचालय के उपयोग करने के व्यवहार को आदत में तब्दील करने को कहा।

सामूहिक व्यवहार परिवर्तन तथा स्वच्छता विषयक सुरक्षित आचार सुनिश्चित करने के लिए समुदाय आधारित संपूर्ण स्वच्छता की रणनीति रणनीति को अपनाना आवश्यक है जो सारे सौदा को स्वच्छता के लिए जागरुक करके समुदाय आधारित संपूर्ण स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु खुशवंत रक्षित के प्रबंधन की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। स्वच्छता अभियान की गतिविधियों से भागीदार तथा पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधियों, संकुल स्तरीय संघों, ग्राम संगठनों,स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न सरकारी विभागों एवं गैर सरकारी संगठनों को सम्मिलित करना शामिल है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन गांव को ओडीएफ प्लस बनाने के लिए एक प्रमुख घटक है। किसी क्षेत्र विशेष में अपशिष्ट प्रबंधन करने के लिए कचरे का पृथक्करण सबसे अच्छा तरीका है विशेष रूप से गांव के लिए सूखे और गीले कचरे का पृथक्करण और खाद बनाने के लिए गीले कचरे का उपयोग करके यह सुनिश्चित किया जा सकता है सूखे कचरे के लिए गांव जिला प्रशासन से संपर्क करके सूखे कचरे को निकटतम कचरा प्रबंधन संयंत्र में पहुंचा सकते हैं जिससे गांव को ओडीएफ प्लस की दिशा में ले जाया जा सकता है। तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तहत शौचालयों का अधिक निर्माण होने से सीवेज का का बढ़ना भी संभव होता है क्योंकि शौचालय से तरल अपशिष्ट को ठीक से निपटाने की आवश्यकता होती हैं।
व्यक्तिगत शौचालय ट्विन-पिट माडल पर बनाये गये हैं लेकिन सार्वजनिक शौचालय के सीवेज नदी/नालो से मिलते हैं तथा उन्हें दूषित करते हैं। शौचालयों के सीवेज के पानी के असुरक्षित निपटान से बचने के लिए उन्हें सीधे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जा सकता है। चूंकि सीवेज का होना गांवों में आम नहीं है अत: शौचालय के तरल अपशिष्ट निपटान के लिए सुरक्षित अभ्यास अपनाये जाना चाहिए।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्वच्छ भारत प्रेरक निखिल कुमार, जिला समन्वयक मनोज कुमार सहित कई अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।