भोजपुर(आरा) ::–
बबलू कुमार-
22 सितंबर 2019
रविवार
बिहार में गिरते शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी जांच प्रतिवेदन के आधार पर गिरती शिक्षा व्यवस्था के बारे में बताएं कि लाल झंडा के नेतृत्व में जनसंघर्ष से बनेगा उर्दू प्राथमिक विद्यालय, शिक्षा अधिकार आंदोलन होगा तेज। मंत्री – संतरी, सांसद – विधायक – अधिकारी के बूते नही छोड़ेंगे संविधान प्रदत शिक्षा अधिकार, भोजपुर की जनता भाकपा – माले, आइसा – इनौस के नेतृत्व में तेज करेगी शिक्षा अधिकार आंदोलन उक्त बातें इनौस राट्रीय अध्यक्ष व भाकपा – माले केंद्रीय कमेटी सदस्य मनोज मंज़िल ने कहा।
भाकपा – माले नेता मनोज मंज़िल के नेतृत्व में एक जांच दल गड़हनी प्रखंड में बड़ौरा गांव के दो विद्यालय जिसमे उर्दू प्राथमिक विद्यालय और प्राथमिक विद्यालय बड़ौरा का जाँच किया। इस जांच दल में सोहराब अली, अयूब आलम, मंज़र अली, इज़्मामुल हक और मक़सूद आलम, माले नेता ओमप्रकाश सिंह, इंसाफ़ मंच के नेता मुमताज़ अली और इंक़लाबी नौजवान सभा के अरमान अली शामिल थे।
जाच दल ने पाया कि उर्दू प्राथमिक विद्यालय का स्थापना 1947 में हुआ था। इस स्कूल में गावँ – सुअरी, शिवपुर, सिकटी और बड़ौरा के बच्चे पढ़ने आते थे। अपने समय का बड़ा चर्चित स्कूल था। इस स्कूल में पढ़े हुए शिक्षक से लेकर सीविल सर्विस और सीमा पर भी योगदान दिया है। जिसमे शिवपुर के शाहजहाँ एसडीओ, लियाकत हुसैन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, शौकत अली स्टेशन मास्टर, गौतम यादव एयरफोर्स में गए । मोहम्मद मकबूल अंसारी फ़ौज में ऑफिसर बने और कई शिक्षक भी बने।
इस विद्यालय को बनाने में मुस्लिम समाज अपनी कब्रिस्तान की जमीन देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाया और सभी समाज के लिए यह स्कूल पसंदीदा बन गया। आज से 10 साल पहले यह विद्यालय जर्जर हो गया और यह स्कूल बंद हो गया।
ग्रामीणों ने नया भवन बनवाने के लिए प्रखंड से लेकर जिला के शिक्षा अधिकारियों BDO, BEO, DEO के साथ – साथ अगिआंव विधानसभा के वर्तमान JDU विधायक माननीय प्रभुनाथ राम से मिले पर वर्ग भवन बनवाने के लिए केवल आश्वाशन दिए। यहाँ तक कि इस साल लोकसभा चुनाव में वोट मांगने आये BJP के उम्मीदवार और सांसद माननीय R.K Singh ने भी भरोसा दिलाया था कि इस बार वोट दीजिए आपका स्कूल बनवा देंगे, पर अभी तक सरकार के शिक्षा विभाग, MLA और MP साहब ने कोई कदम नहीं उठाया।
जांच दल ने उत्क्रमित मध्य विद्यालय बड़ौरा में भी गये, और देखा कि क्लास रूम के नाम पर मात्र दो छोटे-छोटे कमरे जिसमें एक कमरा में एक से क्लास 5 तक के बच्चे बैठे थे और दूसरे कमरे में क्लास 6 से 8 तक के बच्चे बैठे थे। छात्रों की संख्या 263 है। इस विद्यालय में 5 पदस्थापित शिक्षक में से 2 ही आए थे। जब बच्चों का स्टैण्डर्ड चेक किया गया तो छठा क्लास से आठवां क्लास तक के कोई स्टूडेंट साधारण भागा और बट्टा पर का जोड़-घटाव भी नहीं बना सके।
कोई स्टूडेंट इंग्लिश के किताब का रीडिंग नहीं दे सका। आधे से ज़्यादा बच्चे हिंदी पढ़ने में सक्षम नहीं है।उर्दू विषय तो है पर उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं।
विद्यालयों का हाल देख भाजपा – जदयू की सरकार को कटघरे में खड़ा कर मनोज मन्ज़िल ने कहा कि
इन बच्चों का भविष्य में क्या होगा, किस लायक बनाया जा रहा है।
ये बच्चे एग्जामिनेशन और कॉम्पिटिशन में उन बच्चों का मुकाबला कैसे करेंगे। जो महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। हमारे देश में समान स्कूल प्रणाली किसके हित में नहीं लागू किया जा रहा है। अमीर और ग़रीब का बच्चा एक ही स्टैण्डर्ड के स्कूल में क्यों नहीं पढ़ सकते? आगे उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सरकारी स्कूल को मृत्यु शय्या पर भेज दिया है। सरकारी स्कूल की बर्बादी ग़रीब-मज़लूम, मज़दूर -किसान, मेहनतकश और उत्पीड़ित जनगण, सदियों से हासिये पर धकेल दिए गए। लोगों के बच्चों की भविष्य की बर्बादी है। क्या यही आपका न्याय के साथ विकास का वादा था?
जब दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों और पिछड़ों के बच्चे स्कूली शिक्षा में ही पिछड़ जाएंगे तो उच्चत्तर शिक्षा का दरवाज़ा उनके लिए बंद हो जाएगा और आरक्षण से भी वंचित हो जाएंगे। शोषितों के और कई पीढ़ी को शिक्षा और ज्ञान से वंचित रखना चाहते हैं। अंत मे उन्होंने कहा कि सरकार अगर समान स्कूल प्रणाली लागू नही करती है। सरकारी विद्यालयों शिक्षा और बुनयादी सुविधा नही सुधारती है तो भोजपुर की जनता लाल झंडे के नेतृत्व में सड़कों और प्रखंड कार्यलयों में शिक्षा अधिकार आंदोलन तेज करेगी।