बेगूसराय ::–
विजय श्री ::-
24 जुलाई 2019
सावन महीने की शुरू होते ही कवि सम्मलेन में कवि और कवयित्रियों ने सावन की कविताओं को सुनाया तो दर्शक मन्त्र मुग्ध हो उठे।
मौका था इन्द्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल बिहार इकाई के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मलेन का।
कचहरी रोड स्थित कर्मचारी भवन में आयोजित इस कवि सम्मेलन में बेगूसराय, समस्तीपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि जिलों के दो दर्जन से ज्यादा कवि-कवयित्रियों ने हिस्सा लिया।
सावन पर सुनाई गयी कवित्री रेशमा कुमारी की कविता “झूम के सावन आया है”, विनीता साहा की कविता “फिर सावन रूत की बूंदें रिमझिम, फिर सावन रूत की हवा चली” को लोगों ने खूब सराहा।
वही अन्य कवियों की कविता सावन तू जमकर बरस, प्यासी धरती गुण गायेगी, तेरा चेहरा बसता है आँखों में, अपलक जगी हूँ रातों में, सपने तो सपने होते है, इनमे तो बस अपने होते है जैसी कविता ने खूब तालियां बटोरी।
वही रंजना सिंह की कविता जीवन के झंझावातों से जब भी मैं तक जाती हूँ को लोगों ने खूब पसंद किया। बेरोजगारी को लेकर सत्ता पर प्रहार करते हुए सत्यम भारती की कविता होकर मायूस सब बेजार बैठे है, ले डिग्री की गठरी बेकार बैठे है, रोजगार समां गया सत्ता की आगोश में, सिर्फ मैं ही नहीं मेरे कितने यार बैठे है कविता पर लोगों ने जमकर तालियां बजाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि चाँद मुसाफिर ने किया। वहीं मंच संचालन अभिनेता अमिय कश्यप ने किया। सम्मलेन में वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल पतंग ने अपनी व्यंगात्मक कविता से असहज बातों को भी सहज रूप से कह डाला। दीनानाथ सुमित्र ने अपनी ग़ज़ल की प्रस्तुति से राजनीतिक व्यवस्था पर प्रहार किया।
कार्यक्रम में डा. अभिषेक मिश्र, दिव्या चौहान, विनीता साहा, मणिभूषण, रेशमा रानी, रंजना सिंह बीहट, कवि विपिन झा, संजीव शाहिद, राहुल सिंह, राजन सिंह, रेखा कुमारी, सुप्रिया सिन्हा, जयंत जोशी, सुंदरम, आर्यन राज, नीलेश कुमार, सत्यम भारती, सौम्या चंद्रवंशी, जनकनंदिनी ने भी अपनी अपनी कविताओं से श्रोताओं को बांध कर रखा।