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इको फ्रेंडली ई रिक्शा के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में

बिहार-भोजपुर(आरा) ::–

बबलू कुमार :-

14 जुलाई 2019

आधुनिक रूप से सुसज्जित 11 इको फ्रेंडली ई रिक्शा के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचारित प्रसारित करने के उद्देश्य से भोजपुर जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा एवं उप विकास आयुक्त शशांक शुभंकर ने चंदवा अवस्थित ग्रीन हेवन रिजॉर्ट से जन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि जल का संचयन, संरक्षण एवं संवर्द्धन का संदेश सुदूरवर्ती गांवों और पंचायतों में प्रचारित करने के उद्देश्य से जल संरक्षण के लिए वर्तमान में चयनित दो प्रखंडों कोइलवर एवं बिहिया में 15 दिनों के लिए शुरू किया गया है।

इस रथ की विशेषता है कि वर्तमान वैश्विक पारिस्थितिकी संकट के दौर में यह प्रचार वाहन बिल्कुल इको फ्रेंडली है जो प्रदूषण मुक्त, कम लागत एवं सघन बस्ती में भी परिचालन के योग्य है। प्रचार वाहन को पोस्टर, बैनर, फ्लेक्स के द्वारा आधुनिक रूप से सुसज्जित कर तैयार किया गया है। ताकि प्रचार वाहन आकर्षक लगे।

जागरूकता रथ के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए प्रचार वाहन पर गायक मुकेश मोहक द्वारा रचित एवं ध्वनित गीत का ऑडियो रिकॉर्डिंग तैयार कर बजाया जा रहा है। प्रचार वाहन के परिचालन का मुख्य उद्देश्य है। जल संरक्षण के तहत पानी के दुरुपयोग एवं उसके बचाव के बारे में अधिकाधिक लोगों को जागरूक एवं प्रेरित करना।

 

दूसरी ओर 13 जुलाई से स्थानीय ग्रीनहेवेन रिजॉर्ट में जल संरक्षण पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। कार्यशाला में जल संरक्षण की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता, महत्व तथा संरक्षण के विभिन्न तकनीकी विधियों के बारे में यूनिसेफ के योग्य एवं अनुभवी प्रतिनिधियों के द्वारा जानकारी दी गई।

उन्होंने लीच पिट, किचन गार्डन, सोक पिट, वाटर हार्वेस्टिंग, तालाब, आहर पयन आदि के बारे में तकनीकी पहलू की जानकारी दी गई। यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में बताते हुए कहा कि वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल रोकने और एकत्र करने की विधि है इसका उपयोग भूजल भंडार को भरने के लिए किया जाता है। यह कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है। जिसके द्वारा पानी की एक बूंद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है।

उन्होंने कहा कि गांवों, कस्बों और नगरों में छोटे-बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जा सकता है तथा नगरों महानगरों में घरों की नालियों के पानी को गड्ढे बनाकर एकत्र किया जा सकता है। घर की छत पर वर्षा जल एकत्र करने के लिए एक या दो टंकी बनाकर उन्हें मजबूत जाली या फिल्टर कपड़े से ढका जाए तो जल संरक्षण किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा की बड़ी नदियों की नियमित सफाई बेहद जरूरी है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। आगे जानकारी देते हुए उन्होंने कहा की जंगल कटने पर वाष्पीकरण ना होने से वर्षा नहीं हो पाती और भूजल सूखता जाता है। इसलिए वृक्षारोपण जल संरक्षण में बेहद जरूरी भूमिका निभाता है।

जिलाधिकारी ने गायक मुकेश मोहक को अंग वस्त्र प्रदान किया। इस अवसर पर यूनिसेफ के प्रतिनिधियों के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए डीआरडीए निदेशक प्रमोद कुमार ने प्रतिनिधियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।

यूनिसेफ के प्रतिनिधि के रूप में राजीव कुमार, उदय पतं कर, महेश कोडगिरे, चंद्रकांत तरखेडकर थे। कार्यक्रम का समापन डीआरडीए निदेशक प्रमोद कुमार के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।

By National News Today

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