बछवाडा़(बेगूसराय):~
राकेश कु०यादव :~
कुदरत की सारी फितरत मौजूद थी उसमें, बडे़ ही सौम्य स्वभाव एवं सादगी की प्रतिमुर्ति थी हमारी टीचर। मगर अल्लाह ने क्यों छीन लिया हमारी मैडम को, ये शब्द उन बच्चों का है जिसने शमा प्रवीण के साथ प्रतिदिन कम-से-कम बारह घंटे गुजारा करते थे।
जी हां शमा प्रवीण उस महिला का नाम है जो बेगूसराय जिले के बछवाडा़ स्थित अरबा गांव के उत्क्रमित मध्य विधालय अरबा उर्दू में थी। ये तो एक मामुली प्रखंड शिक्षिका थी मगर शमा प्रवीण स्कुल के साथ भी और स्कुल के बाद भी अल्पसंख्यक मुहल्ले के लड़कियों को शिक्षा की शमा दिन रात जलाने का काम अपने सिर माथे ले रखा था।
मगर अब वो इस दुनियाँ में नहीं रही। सोमवार की रात उक्त शिक्षिका एक शादी समारोह की पार्टी में हिस्सा लेने अरबा गांव के हीं मो०बशीर के घर गयी थी। जहां देर रात तेज पसीने निकलने के साथ उनके तबियत बिगड़ने लगी। आनन-फानन में ग्रामीणों ने ईलाज हेतु उन्हे अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों नें उन्हे बचाने का लाख प्रयास किया मगर शायद भगवान् को यह मंजूर नहीं था, मंगलवार की सुबह शिक्षिका की मौत हो गयी।
शिक्षिका मुल रूप से बाढ(पटना) की रहने वाली थी। घटना के पश्चात सुचना पाकर पहुंचे परिजनों एवं ग्रामीण बच्चों के रूदन एवं क्रंदन से अरबा गांव का माहौल गमगीन हो गया।
घटना को लेकर बछवाडा़ के शिक्षक समुदाय में भी शोक का माहौल व्याप्त है।