Wed. Dec 24th, 2025

जरा ढूंढ लो अपनी विरासत, जो गाॅवो में दबकर कही खो गयी है, पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

न्यूज़ डेस्क, बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।

डा सच्चिदानंद पाठक द्वारा रचित काव्य पुस्तक “भावाभिव्यन्जनाऐ ” के लोकार्पण के अवसर पर मंगल भवन, रघुनन्दन पुर मे भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन की शुरुआत वरीय गीतकार रमा मौसम ने सुरमय ढ़ंग से की। उनकी प्रस्तुति जरा बचपन का वो खोया एहसास दे देना। मुहब्बत के परिदों को खुला आकाश दे देना ।। पर दर्शक रोमांचित हो उठे ।

समस्तीपुर से आए वरिष्ठ कवि द्वारिका राय सुबोध ने अपनी कविता छठ महापर्व प्रकृति की प्रार्थना
हम करते है हृदय से इसकी अभ्यर्थना सुनाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया ।

शाहपुर पटोरी से आए कवि दुखित महतो भक्तराज ने अपनी निर्गुण ” अंतिम बेरिया ” का सस्वर पाठकर, माहौल को भावुक कर दिया । वरीय कवि शेखर सावंत की प्रस्तुति

ना हिन्दु है ना मुस्लिम है हम ।
अपने वतन की शान है हम ।।
सुनाकर काफी तालियां बटोरी ।

विद्यासागर ब्रह्मचारी की रचना

किसी राष्ट्र के भाग्यविधाता कहलाते
है नेताजी
घड़ियाली ऑसू बहाकर शुभचिंतक
बन जाते है नेता जी
सुनकर दर्शक हंसी से लोटपोट हो गये ।

कवयित्री सुनीता झा ने माॅ पर कविता सुनाकर माहौल को गंभीर कर दिया ।

संजीव फिरोज ने अपनी ओजपूर्ण कविता

मेरे देश की संगमरमरी दीवारें
खून से नहाई हुई है ।
सुनाकर जोश का संचार किया ।

प्रवीण प्रियदर्शी की हास्य – व्यंग्य रचना
“गाँव गाँव से बने विधायक
हर टोले से मुखिया ”
पर दर्शक ने खूब तालीयाॅ लुटाई।

युवा हास्य कवि वागीश आनंद की कविता ” भाभी जी का पेड़ा” पर देर तक तालियां बजती रही ।

युवा कवि मनीष कुमार ने” माॅ ” का चरित्र चित्रण अपनी रचना

निकलते ही माॅ का यह कहना ,
दुपट्टा ठीक से लगा लेना ।
से की । दर्शक भावविह्वव हो गये ।

बेगूसराय के वरिष्ठ साहित्यकार नरेंद्र कुमार सिंह ने भी अपनी रचना से दर्शको को काफी प्रभावित किया ।

ललन लालित्य ने बाढ पीड़िता का दर्द अपनी रचना ” मेरा फोटो नही खींचना सर जी ” के माध्यम से प्रस्तुत किया जिसपर काफी देर तक तालीयाॅ बजी ।

समस्तीपुर के कवि नकी खान ने अपनी रचना

हम इस चमन मे ,
मुहब्बत का बीज बोते हैं।
इसी को देखकर ,
दुश्मन हमारे रोते हैं।।

से खूब वाहवाहियाॅ बटोरी ।

*घर की सारी जिम्मेदारी उठाते है बाबूजी*

बेगूसराय के वरिष्ठ कवि मुक्तक सम्राट अशान्त भोला ने पिता की महिमा की बखान अपने रचना से की

घर की सारी जिम्मेदारी उठाते है बाबूजी
गोद हल्के – भाडी हरसमय उठाते है बाबूजी
पर खूब तालियाॅ बजी ।

डा शैलेन्द्र शर्मा त्यागी ने अपनी रचना

आदमी हो तो आदमी की तरह जियो
जिंदगी में कुछ खोकर भी जियो

के माध्यम से इंसानियत की परिभाषा दी ।

*ऐहन भोट किय भेल*

सुप्रसिद्ध लोकगायक डा सच्चिदानंद पाठक ने अपनी मैथिली रचना

ऐहन भोट किय भेल
भैया मे दैलय गेलो
भौजी में गेल
पर तालियो की वर्षा होने लगी ।

प्रफुल्ल चन्द्र मिश्र की रचना

दुनिया मे रहा अबतक दुनियादारी नही आई ।
ना जीने की कला आई , होशियारी नही आई ।।
सुनकर दर्शक वाह-वाह कर उठे ।

अंत मे कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे चांद मुसाफिर ने भी अपनी कविता से मंत्रमुग्ध किया ।

रोसडा से तृप्ति नारायण झा,सौरभ वाचस्पति व रंजू ज्योति,अनंत लाल झा , राहुल कुमार भी अपनी कविताओ से दर्शको को काफी प्रभावित किया ।

कवि सम्मेलन का संचालन प्रफुल्ल चन्द्र मिश्र व राहुल शिवाय ने किया । इस अवसर पर बिन्दुशेखर पाठक ,अरूण कुमार झा,संतोष मिश्रा, सविता सुमन , कुलानन्द पाठक , हरिकान्त चौधरी , चिन्मय आनंद, हरिओम , आशीष कुमार, शीलभद्र आनन्द , जगवीर, शशांक शेखर , अवनीश , अनिता पाठक , पुष्पलता, मेघदीपिका समेत काफी गणमान्य उपस्थित थे ।

By National News Today

नेशनल न्यूज़ टुडे वेब पोर्टल के रूप में आप लोगों के बीच है। यह न्यूज़ पोर्टल "खबरें वही जो हो सही" को अक्षरसः पालन करते हुए, आपके बीच में सदैव ताजातरीन ख़बरों से अवगत कराते रहेंगे।

Related Post

You Missed