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भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता के लिए 5 फरवरी 2024 को होगा जंतर-मंतर पर विशाल आंदोलन।

न्यूज डेस्क, भोजपुर/आरा, बबलू कुमार।।

सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व वार्ड पार्षद जितेन्द्र कुमार शुक्ल के महाराणा प्रताप नगर, आरा अवस्थित आवास पर ” भोजपुरी शोध एवं विकास ट्रस्ट ” द्वारा आहूत 05 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में जन्तर – मन्तर पर विशाल ” आक्रोश – प्रदर्शन ” के संदर्भ में एक विस्तारित बैठक आयोजित किया गया।

इस बैठक में ” भोजपुरी शोध एवं विकास ट्रस्ट ” के अलावा ” भईल बिहान ” , अखिल भारतीय भट्ट ब्राह्मण महासभा, सृजनलोक प्रकाशन, काव्य की गोदी, भगत सिंह विचार मंच, विमर्श मीडिया, समृद्धि न्यूज़ चैनल और भोजपुरिया जन मोर्चा इत्यादि संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।

इस बैठक की अध्यक्षता भोजपुरी भाषा के प्रथम व्याकरण लिखने वाले साहित्यकार स्व शिव दास ओझा के पोता जन्मेजय ओझा ने और गरिमापूर्ण मंच संचालन विद्रोही कवि राकेश कुमार ओझा ने किया।

विषय प्रवेश करते हुए ” भोजपुरी शोध एवं विकास ट्रस्ट ” के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण यादव ” कृष्णेन्दु ” कहा कि भोजपुरी भाषा को वैश्विक पहचान मिला हुआ है। फिज्जी, गुआना, मॉरिशास और नेपाल में भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त है लेकिन अपने ही देश में भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है।

30 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली साहित्यिक रूप से सम्पन्न भाषा की उपेक्षा की जा रही है।
” भगत सिंह विचार मंच ” के सचिव सुनील कुमार चौधरी इण्डिया टुडे के RTI का हवाला देते हुए बताया कि गृह मंत्रालय के पास किसी भाषा को मान्यता देने के लिए कोई भी मापदण्ड नहीं है। जन आन्दोलन के बल पर संवैधानिक मान्यता प्राप्त की जा सकती है।
” भईल बिहान ” संस्था के महासचिव कवि डॉ जनार्दन मिश्र ने कहा कि भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने के जिम्मेवार भोजपुरिया समाज है। अपने भाषा के लिए कभी भी संगठित होकर काम नहीं किया गया।
” भोजपुरिया जन मोर्चा ” के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद सिंह ने कहा कि भोगेन्द्र झा, मीरा कुमार, पी चिदंबरम सहित भाजपा के रविशंकर प्रसाद, शुशील मोदी, योगी आदित्यनाथ, राजीव प्रताप रूडी, मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव निरहुआ, राजनाथ सिंह और खुद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी जब भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता देने की बात करते हैं तो ये लोग संवैधानिक मान्यता दे क्यों नहीं रहे हैं?
” सृजनलोक प्रकाशन” के निदेशक संतोष श्रेयांस ने कहा कि किसी भाषा का विरोध कोई दूसरी भाषा नहीं करती है और ना ही किसी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने से अन्य कोई भाषा मर सकती है।
” अखिल भारतीय भट्ट ब्राह्मण महासभा ” के महासचिव मनोवैज्ञानिक डॉ अरविन्द कुमार राय ने कहा कि कोई भी भाषा उस क्षेत्र की कला और संस्कृति का परिचायक और वाहक होती है, अगर भाषा मरती है तो उस समाज की कला और संस्कृति भी मर जायेगी। हमें अपनी भोजपुरी भाषा को बचाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए।
प्रखर भोजपुरिया अजीत भट्ट ने कहा कि भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता प्राप्त चले वाला लड़ाई आंधी के तरह आता है और तूफान के तरह गुजर जाता है। जब तक भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं हो जाता है तब तक इस लड़ाई को लगातार आन्दोलन के रूप में चलाना चाहिए।


” समृद्धि न्यूज़ चैनल के CMD अशोक तिवारी ने कहा कि मौजूदा दौर में सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है। हमें अपनी बातों को जन – जन तक पहुंचने के लिए सोसल मीडिया का भरपूर उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने आन्दोलन के लिए तैयार आह्वान गीत को सस्वार गा कर सुनाया।
सामाजिक कार्यकर्ता और जन नेता मृत्युंजय भारद्वाज ने कहा कि भोजपुरी भाषा के कुछ गायक फूहड़ और अश्लील गीत गा कर भोजपुरी भाषा को बदनाम कर रहे हैं। ऐसे गायकों का विरोध और वहिष्कार होना चाहिए।

मंच संचालक कवि राकेश कुमार ओझा ने कहा कि आन्दोलन को सफल बनाने के लिए सभी नेताओं, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और गायकों से आग्रह किया जाय कि वे लोग भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता खातिर आन्दोलन को अपना समर्थन दें।
अध्यक्ष जन्मेजय ओझा ने कहा कि भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता खातिर आन्दोलन हो रहा है, लेकिन यह फुटकर प्रयास किया जा रहा है हमें एकजुट होकर काम करना चाहिए। हम सिर्फ़ अपने संगठन के लिए नहीं बल्कि भोजपुरी भाषा के लिए आन्दोलन करें।
जितेन्द्र कुमार शुक्ल ने सभी को हार्दिक धन्यवाद देते हुए कहा कि भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता खातिर आहूत यह आन्दोलन भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने तक जारी रहेगा।
इस बैठक में देवेन्द्र कुमार पाण्डेय, रौशन कुमार चौबे, शिव जी यादव, अशोक मिश्र, मनोज मिश्र, राजधानी यादव, अंकित चौबे, मनोज ओझा और अंकित राय उपस्थित थे।

By National News Today

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