
आसपास के पांच गावं से हजारों की संख्या में श्रद्धालु करने आएंगे बाघी स्थित दुर्गा मंदिर
इस मंदिर का भभूत लगाने से होती है मुराद पूरी
बेगूसराय
इस वर्ष बाघी पोखर स्थित मां सप्तसती दुर्गा पूजा मंदिर में धूमधाम से दुर्गा पूजा को लेकर तैयारी की जा रही है। इस वर्ष पूजा कमिटी ने पूजा को लेकर व्यापक तैयारी कर रही है।
मंदिर जाने के रास्तों पर बनाये जाएंगे चार भव्य गेट: बाघी स्थित सप्तसती मंदिर में आने के चारो प्रवेश द्वार पर भव्य गेट या तोरण द्वार बनाये जाएंगे। इसमें पंचम्भा रोड, गांधी चौक, बाघा चौक और बाघी तरफ के रास्तों पर गेट बनाये जाएंगे। साथ ही इन गेट को भव्य तरीके से सजाया भी जाएगा। इन तोरण द्वार सहित पुरे रास्ते पर भव्य रौशनी की भी व्यवस्था की जा रही है। ताकि मन्दिर तक आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई तकलीफ न हो। गेट से लेकर मंदिर परिसर तक भव्य सजावट भी की जाएगी।
मंदिर परिसर में उपस्थित रहेगा मनोरम दृश्य: इस वर्ष मंदिर परिसर की ऐसी सजावट की जा रही है की वहां मंदिर परिसर में मनोरम दृश्य उपस्थित रहेगा। इस परिसर में एक तरफ बाघी पोखर है, तो दूसरी तरफ शंकर भगवान का मंदिर स्थापित है। वही मंदिर के सामने पीपल के पेड़ के नीचे बजरंगबली का मंदिर भी स्थापित है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह पीपल का पेड़ 300 सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। साथ ही अन्य देवता की भी यहां मंदिर है। जीतने भी मंदिर परिसर में देवी देवता है सभी की सजावट की जा रही है। मंदिर परिसर में ऐसी सजावट और ऐसा मनोरम दृश्य होगा की श्रद्धालू यहाँ घंटो बैठ कर विश्राम कर सकेंगे।
आसपास के गावं से हजारों श्रद्धालुओं करते है पूजा: मां सप्तसती दुर्गा पूजा मंदिर बाघी पोखर आसपास पांच गावं बाघा, पचम्भा, बाघी, आनंदपुर, नागदाह सहित अन्य इलाके में यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस वर्ष इन पांच गावं के अलावे अन्य इलाकों से भी लोग माता का दर्शन करने पहुंचेंगे। इसलिए मंदिर परिसर में विशेष इंतजाम किए जा रहे है। मंदिर के व्रती पुनिल प्रसाद सिन्हा उर्फ ललन ने कहा कि इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई तकलीफ नही होगी।
1988 से इस मंदिर में मां की हो रही पूजा अर्चना : इस मंदिर में मां दुर्गा की पूजा अर्चना 1988 से ही हो रही है। बाघी निवासी स्व. अयोध्या प्रसाद जो कि प्रधानाध्यापक थे जेके हाई स्कूल के उन्होंने पूजा की शुरुआत की। वर्ष 1989 इस मंदिर की स्थापना स्व. अयोध्या प्रसाद द्वारा ही किया गया। इस मंदिर में मां का पहला खोइछा इन्होंने ही भरा था। तब से अबतक इनके परिवार के द्वारा ही मां का पहला खोइछा भरा जाता है। इस वर्ष भी इस मां दुर्गा की पूजा धूमधाम से की जा रही है। स्व. अयोध्या प्रसाद के पुत्र पुनिल कुमार सिन्हा उर्फ ललन सिन्हा यजमान है और इन्ही के परिवार से पहला खोइछा भी भरा जाएगा।
इस मंदिर की भभूत लगाने से होती है मुराद पूरी:
बताया जाता है की सप्तसती मंदिर का भभूत काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर के हवन का भभूत लगाने वाले कि इच्छा मां अवश्य पूरा करती है। भभूत लेने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। मान्यता यह है कि भभूत लगाने से सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। और जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है वे उस मंदिर में आभूषण से लेकर वस्त्र और झाप मां को चढ़ाते हैं। इस मंदिर में सप्तमी के दिन भव्य जागरण किया जाता है। इस जागरण में सैकड़ों महिला पुरुष श्रद्धालु रात भर पूजा समारोह में शामिल रहते है। विधिवत रूप पूजा के साथ बैंड बाजा और भजन के साथ जागरण किया जाता है। अष्टमी को बालिका भोज में आसपास गावँ को खिलाया जाता। षष्ठी बेल पूजा के दिन पूरे गांव के निवासी पूरे गांव का भ्रमण कर राम जानकी ठाकुरबाड़ी में निमंत्रण पूजा की जाती है।
बनाई गई कमिटी: पूजा को अच्छे ढंग से करने के लिए एक कमिटी बनाई गई है। इसके अध्यक्ष जनार्दन दास, महासचिव पुनील कुमार सिन्हा, उपाध्यक्ष मदन लाल दास, अर्जुन शर्मा, कोषाध्यक्ष बुटन साह, सचिव रामानुज पासवान, सह सचिव दीपक साह और शालीग्राम साह, कार्यकारिणी सदस्य कन्हैया शर्मा, गोविन्द साह, रामाकांत पासवान, क्रांति साह