बछवाडा़ (बेगूसराय):~
राकेश यादव :~
@ दर्जनों किसानों की हो चुकी है हत्या
बछवाड़ा प्रखण्ड क्षेत्र के कुल उपजाऊ भूमी का बहुत बडा़ भूभाग दियारा में हीं अवस्थित है। जहां सिर्फ़ दियारा हीं नहीं भीठा क्षेत्र के किसान भी मीट्टी से सोना उपजाने में अपनी किस्मत आजमाते हैं। मगर हरेक वर्ष के रवि एवं खरीफ फसलों की बुआई व कटाई के समय उठने वाली गोलियों की गर्जन किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उत्पन्न कर देती है।
दियारा क्षेत्र में खेती करने जाने वाले किसानों के परिजनों का हाले दिल यही बयां करती है कि पता नहीं कब चिंता की लकीरें कहीं चिता में न तब्दील हो जाए।
नारेपुर दियारा निवासी किसान कहते हैं कि अभी कल हीं भगवानपुर के किसान जोगे यादव की हत्या हुई है। मगर यह कोई नयी बात नहीं है। इसके पुर्व में भी चमथा के किसान रामलक्षण राय की हत्या खेतों की रखवाली करने के क्रम में गोली मार कर हत्या अपराधियों एवं लुटेरों ने की थी। फसल विवाद में पिछले वर्ष भी दो लोगों की हत्या हो चुकी है।
फसल कटाई के समय हर वर्ष यह खूनी खेल होता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि लगभग हरेक वर्ष फसल कटाई के समय दियारे इलाके में खूनी खेल होता है। खेतों में फसल लगता कोई और है लेकिन जब फसल काटने की बारी आती है तो ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ वाली कहावत चरितार्थ होते दिखने लगता है। फसल कटाई को लेकर दियारे इलाके में हरेक वर्ष मारपीट, गोलीबारी एवं हत्या जैसी घटनाएं आम बात हो जाती है। जिससे लोगों में हमेशा भय व्याप्त रहता है।
थानाक्षेत्र के चमथा दियारे में फसल विवाद को लेकर हत्या कोई पहली हत्या नहीं है। पहले भी इस विवाद में कई लोगों की जान जा चुकी है। चमथा दियारे क्षेत्र में हत्याओं का दौर देखते हुए पुलिस पिकेट भी बनाया गया लेकिन वह फिस्सडी साबित हो रहा है। लोगों की मानें तो पुलिस पिकेट तो है लेकिन इससे इलाके के अपराधियों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। आपको बताते चलें कि पिछले वर्ष भी अपने खेतों में लगे मक्के की फसल की रखवाली करते हुए चमथा निवासी चमरू राय को अपराधियों ने खेत में ही सोए अवस्था मे गोली मारकर हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं चमरू राय की हत्या का अभी चौबीस घन्टे भी नहीं बीते थे कि एक और किसान लालो चौधरी को अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया था। चमथा दियारे इलाके में प्रतिवर्ष फसल विवाद को लेकर हो रही हत्याओं के दौर से किसानों के चिंता बढ़ती जा रही है।
कुछ किसान ऐसे भीहै है। जिन्होने दियारा में खेती करना छोड़ दिया है और इसी आशा एवं विश्वास के सहारे जी रहे हैं कि जान बचे तो लाख उपाय।
किसानों के साथ इस प्रकार की घटना को अंजाम देने वाले भी दियारा के हीं दबंग एवं अपराधियों की टोली है। मगर ऐसा माना जाता है कि जब इन अपराधियों की टीम कमजोर होती है तो गंगा पार मोकामा, कन्हाईपुर, मेकरा, मोर, इंग्लिश एवं बाढ़ क्षेत्र के अपराधियों का भी सहारा लिया जाता है। बाहरी इलाके के अपराधियों की घुसपैठ गंगा नदी के रास्ते बड़ी नाव के सहारे आसानी से हो जाता है। पुलिस की सक्रियता का भी खतरा नहीं रहता है। फिलहाल दियरे क्षेत्र के किसान की जीवन सांसत में जीने को विवश हैं ।