गढ़हरा, बेगूसराय, रवि शंकर झा।।
जलेस बेगूसराय जिला इकाई एवं ‘गढ़हरा दर्पण’ परिवार की ओर से वरिष्ठ साहित्यकार दिवंगत कवि रामेश्वर प्रशांत की चौथी पुण्यतिथि पर गढ़हरा में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत साहित्यिक मंडलियों के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित करके किया गया। वहीं सभा की अध्यक्षता बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के नेता सह ‘गढ़हरा दर्पण’ के संस्थापक सदस्य श्री लक्ष्मीकांत मिश्र व संचालन जलेस बेगूसराय के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ० चन्द्रशेखर चौरसिया ने किया। वहीं अंत मे धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता रामरतन दास ने किया।
कार्यक्रम के सर्वप्रथम साहित्य प्रेमियों के द्वारा दिवंगत कवि रामेश्वर प्रशांत के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गई। वहीं जनवादी लेखक संघ बिहार के राज्य सचिव एवं कवि प्रशांत जी के पुत्र कुमार विनीताभ ने आगत अतिथियों एवं साहित्य प्रेमियों को स्वागत करते हुए कहा कि कविवर रामेश्वर प्रशांत राग और आग के कवि थे। वे जनवादी- प्रगतिशील मानवीय धारा के प्रतिबद्ध कवि थे। जिसके बाद उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।
वक्ताओं ने कहा कि कवि प्रशांत जी ने जैसी-जैसी कविताएँ रचीं, उन्होंने वैसा ही जीवन को भी जिया। उनकी कथनी और करनी एक समान थी।
जलेस बेगूसराय के उप सचिव और बी एस एस कालेजिएट उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिन्दी व्याख्याता डा० निरंजन कुमार ने कहा कि रामेश्वर प्रशांत की काव्य-यात्रा एक ऐसे कवि की काव्य-यात्रा थी, जहाँ कोई विचलन नहीं। वहीं जनपद के लब्धप्रतिष्ठ संस्कृति कर्मी और ‘हमराही’ के अध्यक्ष रवि रंजन ने कहा कि साठोत्तरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण कवियों में रामेश्वर प्रशांत की गिनती की जाती है और 1967 के बाद से जीवनपर्यन्त वे कविताएँ लिखते रहे।
एक दौर में बेगूसराय का कोई भी साहित्यिक समारोह इनके बगैर संभव नहीं था। दूसरी तरफ मौके पर मौजूद प्रलेस के जिला उपाध्यक्ष और एटक के राष्ट्रीय परिषद सदस्य ललन लालित्य ने कहा कि रामेश्वर प्रशांत की कविताओं को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि उनकी कवि-दृष्टि अत्यंत सूक्ष्म और गहरी है।
मुख्य वक्ता के तौर पर जलेस बेगूसराय के पूर्व अध्यक्ष डॉ० भगवान प्रसाद सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि रामेश्वर प्रशांत के काव्य संसार में व्यक्तिगत रूप से अनुभव किये गये यथार्थ का ठोस साक्ष्य है। जो कभी विलीन नहीं होता और अपने अस्तित्व की छाप अंकित कर देता है। वे अपनी कविताओं में आग की तपन भरपूर ढंग से ले आते हैं।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में लक्ष्मी कांत मिश्र ने ‘गढ़हरा दर्पण’ और जनवादी लेखक संघ से समाज के लिए स्वयं को न्योछावर करने वाली विभूतियों के अवदानों के स्मरण हेतु इस तरह के आयोजन निरंतर किये जाने की अपील की।इस मौके पर गढ़हरा-2 के सरपंच राजन कुमार चौधरी, कर्मचारी नेता रामानंद सागर, समाज सेवा संघर्ष समिति के संयोजक मुक्तेश्वर वर्मा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम अनुग्रह शर्मा, सी०पी०एम० नेता रमेश प्रसाद सिंह, पूर्व पंचायत समिति सदस्य उदयकांत यादव, ‘गढ़हरा दर्पण’ के संस्थापक सदस्य विजय कुमार राय, एलारसा बरौनी के शाखा सचिव अंजनी कुमार, कोषाध्यक्ष राकेश कुमार सिन्हा, दिनकर पुस्तकालय सचिव संजीव फिरोज, युवा कवि श्याम नंदन निशाकर, विनोद बिहारी, मनोज यादव, चिकित्सक राज कुमार आजाद, पत्रकार प्रवीण प्रियदर्शी, रणजीत कुमार सिंह, रविशंकर झा, शरद कुमार, संजय कुमार, अधिवक्ता अशोक ठाकुर, प्रधानाध्यापक योगेन्द्र सहनी, प्रकृति कुमार ‘अनुज’, सामाजिक कार्यकर्ता फुलेना राय, चन्द्रदेव राय तथा अन्य ने कविवर रामेश्वर प्रशांत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गहन चर्चा किया।