बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।
जिले में राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी 49वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया। स्मृति दिवस पर दिनकर भवन, बेगूसराय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन और रिफाइनरी प्रमुख दिनकर ग्राम सिमरिया, जीरो माइल में दिनकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात स्वर्ण जयंती पुस्तकालय स्थित मूर्ति पर भी माल्यार्पण किया गया।
इस अवसर परश्री रोशन कुशवाहा, जिला पदाधिकारी, बेगूसराय, श्री योगेंद्र कुमार, पुलिस अधिक्षक, बेगूसराय एवं श्री आर के झा, कार्यपालक निदेशक, बरौनी रिफाइनरी ने ज़ीरो माईल पर स्थित दिनकर जी की मूर्ति पर श्रद्धासुमन अर्पित किया । इस अवसर पर डॉ प्रशांत राऊत, मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन), डॉ पी के नाथ, महाप्रबंधक (ईएमएस, एमएस एवं एल एंड डी), श्री एस सी त्रिपाठी, डीआरएसएच, श्री नीरज कुमार, मुख्य प्रबंधक (ईएमएस, सीएसआर), श्री राकेश कुमार, सहायक प्रबन्धक (ईएमएस), श्री शरद कुमार, वरिष्ठ अधिकारी (ईएमएस, हिन्दी) और बेगूसराय के अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थें ।
वहीं दूसरी ओर शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति के तत्वाधान में राष्ट्रीयता के अमर गायक राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की स्मृति दिवस पर दिनकर भवन, बेगूसराय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति के सचिव शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि आज हम दिनकर की 49 वीं स्मृति दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित किया हूं। उनके काव्य रचनाओं में गुलामी की जंजीर तोड़ फेंकने के लिए ललकारा था। उनकी कालजई रचनाओं में कालजई रचनाओं में रेणुका, हुंकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, उर्वशी, रसवंती सांस्कृतिक के चार अध्याय आदि प्रमुख हैं।
इस अवसर पर नगर निगम के उपमेयर अनिता राय ने कहा कि दिनकर क्रांति का सलाहकार पुरुष और छायावाद काव्य धारा के सर्वाधिक लोकप्रिय गायक कवि थे।
दधिचि देह दन समिति के जिला अध्यक्ष सुशील राय ने कहा कि वे हमारे देश के वैसे गौरव थे, जिन्होंने कवि के रूप में देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी नाम कमाएं। वह कवि ही नहीं बल्कि एक कुशल गद्य शिल्पी का अर्थ है।
इस अवसर पर डॉ रामरेखा बाबू ने कहा कि दिनकर के कृतियों का एक सबसे महत्वपूर्ण अंग उनकी भाषा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि दिनकर का जन्म बेगूसराय जिला सिमरिया नामक गांव में एक अत्यंत सामान्य किसान परिवार में 23 दिसंबर 1980 को हुआ था। और इनकी की मृत्यु आज ही के दिन 24 अप्रैल 1974 में हो गई।
समाजसेवी अमरेंद्र कुमार अमर ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जिनका जन्म बेगूसराय में हुआ और वह देश में ही नहीं बल्कि विश्व लेवल पर अपना नाम कमाएं। ऐसे महान राष्ट्रकवि को शत-शत नमन।
छात्रा आंचल कुमारी ने कहा कि दिनकर इतिहास के विद्यार्थी थे। लेकिन उनकी आत्मा हिंदी साहित्य के भंग खंडों में भटकती रहती थी । यही कारण है कि उनके काव्य रचनाओं में राष्ट्रीयता की पुकार स्पष्ट झलकती है। वे आधुनिक हिंदी साहित्य मैं राष्ट्रीयता के प्राण थे।
इस अवसर पर समाजसेबी चितरंजन रंजन सिंह ,राजेंद्र महतो अधिवक्ता जेपी सेनानी,अधिवक्ता ,अनिकेत पाठक, आदि ने अपना अपना विचार व्यक्त किया और उनके आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण की।
दिनकर भारत के प्रसिद्ध कवियों एवं साहित्यकारों में से एक हैं । उन्हें उनकी राष्ट्रवादी कविताओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है । उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में “कुरुक्षेत्र”, “रश्मिरथी”, “संस्कृत के चारा अध्याय” और “उर्वशी” प्रमुख हैं। उनकी रचनाओं के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।