Fri. Jul 18th, 2025

बेगूसराय :: कामना है नववर्ष, हर्ष लेके आएगा.. आनन्द मेला में जनपदीय कवयित्रियों की काव्य संध्या की धूम

बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।

बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप बेगूसराय में आनंद मेला के मंच पर कल्याण केन्द्र के सौजन्य से, प्रत्यक्ष गवाह के सम्पादक पुष्कर प्रसाद सिंह के संयोजकत्व में लब्ध प्रतिष्ठ कवयित्रियों की काव्य संध्या सम्पन्न हुई।

काव्य संध्या की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री मुकुल लाल इल्तिजा और संचालन प्रखर कवयित्री आराधना सिंह अनु ने किया।
इस अवसर पर उपस्थित कवयित्री रुपम झा,रंजना सिंह अंगवाणी,कुन्दन कुमारी, रंजू ज्योति, मुकुल लाल इल्तिजा, रंजना सिंह शिक्षिका, डा.प्रभा कुमारी, नूरी अख्तर, निशा रंजन तथा आराधना सिंह अनु ने अपनी कविताओं से माहौल को आनंद और हंसी से गौरवान्वित कर दिया।


स्वागत भाषण कल्याण केन्द्र के सचिव भोगेन्द्र कुमार कमल और धन्यवाद ज्ञापन वागीश आनंद ने किया।

उपस्थित सभी कवयित्रियों और अतिथियों को बी.टी.एम.यू.के अतिरिक्त महासचिव संजीव कुमार ने आनंद मेला का प्रतीक चिन्ह और गिफ्ट प्रदान कर सम्मानित किया।

हास्य कविता से व्यंग्य करते हुए प्रखर कवयित्री रुपम झा ने सुनाई
कि”

मुझको क्या दुनिया से डर है, जब तू ही मेरे भीतर है।
वो मुझको नापेगा कैसे, उसका कद खुद बित्ते भर है।

श्रोताओं के दिल पर दस्तक देते हुए आराधना सिंह अनु ने अपनी कविता सुनाई:-

जब मिले वक्त, संग बैठ जाया करो
हाल-ए-दिल कुछ सुनो कुछ सुनाया करो
मानते हो मुझे गैर कुछ गम नहीं
पर न औरों को अपना सुनाया करो

नववर्ष के स्वागतार्थ रंजू ज्योति ने सुनाई
नये साल का नया पैगाम लिखती हूं
आज अपनी हर खुशी तेरे नाम लिखती हूं।

अपनी सरजमीं को नमन करते हुए रंजना सिंह अंगवाणी ने अपनी रचना सुनाई

धरा दिनकर लिए तेजस, यही है वीर की धरती।
सदा निर्मल बहे धारा, कि गंगा नीर की धरती।
तुझे लाखों नमन मेरा, रिफाइनरी धरा आँगन —
सुनो जी तेल शोधक की, यही है हीर की धरती॥

रंजना सिंह शिक्षिका ने कही कि

उल्फत में कोई ऐसी शाम मिल जाए
तेरे पहलू में मुझे आराम मिल जाए
मुकुल लाल इल्तिजा ने पारिवारिक जीवन पर कटाक्ष करते हुए कही कि

लाख बहुएँ कसे कमर‌ लेकिन
आज भी सास का ज़माना है।
हास्य कवयित्री नूरी अख्तर छा गई
जाड़ा के रात रहे,पति पत्नी की बात
रहे
कहलन पति बड़ा प्यार से दुलार से
ऐ हमार हेमा मालिन,कल ऑफ़िस जाय के बाद जल्दी ,नाश्ता में खा लेहा कल होकेला हेल्दी।

डा.प्रभा कुमारी ने कही कि
ग़र नारी नहीं होती,संसार नहीं होता।
संसार ग़र जो होता, गुलज़ार नहीं होता।
गुलशन के किसी गुल का अहसास नहीं होता,
हो संसार हँसी कितना , आबाद नहीं होता।

निशा रंजन ने सुनाई

झूला है होटल हैं खिलौनों के दुकानों की भरमार है, पापा चलो मेला देखने सुना है बहुत शानदार है।

कवयित्री कुंदन कुमारी ने अपनी कविता सुनाई
इंम्तिहाँ हो अगर न घबराइए
लाख आए मुसीबत मुस्काइए
राह दुर्गम भी हो लेकिन रूकना नहीं
बस रफ़्तार अपनी बढ़ा लीजिए

सामने बैठे सम्मानित श्रोताओं में बरौनी रिफाइनरी के कार्यपालक निदेशक श्री आर.के.झा, साहित्यकारश्री प्रफुल्ल चंद्र मिश्र सहित दर्जनाधिक पदाधिकारी और सैकडों साहित्यप्रेमी हंसने और झूमने को मजबूर हो गए।

 

By National News Today

नेशनल न्यूज़ टुडे वेब पोर्टल के रूप में आप लोगों के बीच आया है। यह न्यूज़ पोर्टल "खबरें वही जो हो सही" को अक्षरसः पालन करते हुए, आपके बीच में सदैव ताजातरीन ख़बरों से अवगत कराते रहेंगे।

Related Post

You Missed