बेगूसराय, मिन्टू कुमार।।
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन खरीदारी का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है, कि यदि आप इस दिन कुछ सामान खरीदते हैं तो आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। क्योंकि इस दिन खरीदी गई कोई भी चीज आपको पूरे वर्ष के लिए शुभ प्रभाव प्रदान करती है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। यह पांच दिन चलने वाले दीपावली उत्सव का पहला दिन होता है।
हिन्दू मान्यता अनुसार धन तेरस के दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। अमृत कलश के अमृत का पान करके देवता अमर हो गए थे। इसीलिए आयु और स्वस्थता की कामना हेतु धनतेरस पर भगवान धनवंतरी का पूजन किया जाता है।कहते हैं कि इस दिन धनवंतरी का जन्म हुआ था। धनवंतरी जयंती को आयुर्वेदिक दिवस घोषित किया गया है। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं। और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं। इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
धनवंतरी के बताए गए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी उपाय अपनाना ही धनतेरस का प्रयोजन है।
धनवंतरी के अलावा इस दिन यम, लक्ष्मी, श्रीगणेश और कुबेर देव की भी पूजा होती है। कहते हैं कि धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है।
इस दिन लक्ष्मी पूजा का भी महत्व है। श्रीसूक्त में वर्णन है कि लक्ष्मीजी भय और शोक से मुक्ति दिलाती हैं तथा धन-धान्य और अन्य सुविधाओं से युक्त करके मनुष्य को निरोगी काया और लंबी आयु देती हैं। कुबेर भी आसुरी प्रवृत्तियों का हरण करने वाले देव हैं इसीलिए उनकी भी पूजा का प्रचलन है।
धनतेरस की परंपरा-इस दिन पुराने बर्तनों को बदल कर नए बर्तन खरीदे जाते हैं। यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण खरीदते हैं। वर्तमान में धनतेरस के दिन अब बर्तन और आभूषणों के आलावा वाहन, कम्प्यूटर, मोबाइल आदि भी खरीदे जाने लगे हैं। हालांकि अधिकतर लोग धनतेरस पर सोने या चांदी के सिक्के खरीदते हैं या पीतल एवं चांदी के बर्तन खरीदते हैं, क्योंकि इन्हें खरीदना शुभ माना जाता है।
इस दिन से मंदिर, गौशाला,नदी के घाट,कुआं,तालाब एवं बगीचे आदि सभी जगहों को जगमग कर दिया जाता है। चहुंओर जगमगाने लगता है।