बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।
शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति द्वारा सुखदेव सभागार, सर्वोदय नगर, बेगूसराय में मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि विश्वकवि रविंद्र नाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को बंगाल प्रांत में हुआ था। वे बाबू द्वारिका नाथ ठाकुर के पौत्र और सुप्रसिद्ध महर्षि देवेंद्र नाथ ठाकुर के पुत्र थे। उनका वंश अपनी विद्वता के लिए चिरकाल से प्रसिद्ध है। आज सारा विश्व उनका ऋणी है। आज उनके स्मृति दिवस पर मैं उनको शत-शत नमन करता हूं।
इस अवसर पर जेपी सेनानी जिला अध्यक्ष राजेंद्र महतो जी उर्फ अधिवक्ता ने कहा कि रविंद्र नाथ टैगोर असाधारण प्रतिभा के धनी और कुशाग्र बुद्धि के अद्वितीय साहित्यकार थे। उन्होंने किसी कॉलेज में शिक्षा ग्रहण नहीं किया, फिर भी वह स्वयं विभिन्न साहित्यिक विधाओं के कॉलेज थे। उनकी प्रतिभा और असीमित थी। विश्व कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।
इस अवसर पर छात्र अनिकेत कुमार पाठक ने कहा कि रविंद्र नाथ टैगोर सरस्वती के वरद पुत्र थे। धन्य है वह देश और जाति जो अपने साहित्य सेवियो का आदर करके भगवती सरस्वती की उपासना करें और धन्य है वह महापुरुष जो सरस्वती मंदिर का पुजारी होने के कारण अपने देश जाति वालों से सम्मानित हैं।
छात्र आसमा कुमारी ने कहा कि रविंद्र नाथ टैगोर संपूर्ण मानव जाति के मसीहा थे। वे सच्चे देशभक्त थे। वे गांधीजी के साथ मिलकर 100देश भक्ति पर ढेर सारी कविताएं लिखी। ऐसे महापुरुष को मेरा शत शत नमन।
छात्र आंचल कुमारी ने कहा कि रवि बाबू बंग भाषा के रत्न थे। उनकी साहित्यिक और संगीत प्रतिभा 16 वर्ष की अवस्था में ही प्रखर होने लगी। बांग्ला भाषा के साहित्य काश में सर्वाधिक चमकने वाले नक्षत्र के रूप में सौभाग्य मान है।
सचिव सुनीता देवी ने कहा कि उन्होंने साहित्य के अनेक विद्याओं में रचना प्रस्तुत की है जिसमें काव्य ,निबंध, कहानी ,नाटक, उपन्यास प्रमुख हैं। उन्हीं की प्रेरणा से मैं चल रहा हूं।
इस अवसर पर राजेश पाठक उर्फ राजू जी, अमर कुमार , खुशी सिंह इंजीनियर, प्रिंसी कुमारी अनेकों ने उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण किया और उनको याद किया।