@ दिनकर जी के प्राथमिक पाठशाला में चरित्र निर्माण शिविर का आयोजन।
बेगूसराय, गढ़हरा, रवि शंकर झा।।
आज मंगलवार को राष्ट्रकवि दिनकर जी के प्राथमिक पाठशाला मध्य विद्यालय बारो में चरित्र निर्माण शिविर का आयोजन हुआ। इस आयोजन में प्रवचनकर्ता करनाल हरियाणा से पधारे आर्य सन्यासी स्वामी दयानंद विदेह ने प्रवचन के दौरान कहा की संस्कार के द्वारा ही मानव का निर्माण होता है।
संस्कार विहीन मनुष्य पशु के समान है। बच्चों को संस्कारित करने में मां की भूमिका बहुत अहम है। मां बचपन की पाठशाला की पहली गुरु होती है, जो बच्चों में संस्कार के बीज बोती है। “गुरु” गु का अर्थ अंधकार और रु का अर्थ प्रकाश। अर्थात जो व्यक्ति आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वह गुरु होता है। गुरु का अर्थ अंधकार का नाश करने वाला।
महर्षि दयानंद ने कहा था जिस तरह माता संतानों को प्रेम देती है और उनका हित करना चाहती है, उस तरह और कोई नहीं करता। मां ममतामयी है, जीवनदायिनी है। वह विशाल हृदय व परोपकारी है। हम ईश्वर की वंदना करते हैं, तो सबसे पहले उसे मातृ-रूप में देखते हैं।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव। जब भी हम कष्ट में होते हैं, तो मुंह से एक ही शब्द निकलता है मां। बच्चों का पहला विद्यालय घर होता है और उसकी पहली गुरु मां ही होती है। जो उसके भीतर संस्कारों के बीज डालती है। हमें यह समझ लेना चाहिए कि मां के ऋण से हम कभी उऋण नहीं हो सकते। उचित यह होगा कि हम तन-मन से अपनी मां की सेवा करें। माता शब्द में न जाने कैसा माधुर्य है कि वह जिस शब्द में जा मिलता है, उसी में एक अपूर्व सरलता व हृदयग्राही प्रभाव उत्पन्न हो जाता है। जैसे- धरती माता, भारत माता, गौ माता।
उन्होंने कहा मां की सेवा से बेटा कभी उऋण नहीं हो सकता। मां का प्रेम निस्स्वार्थ होता है। पुत्र की सेवा करते हुए मां यह नहीं सोचती कि बड़ा होकर उनके उपकारों का प्रतिफल मिलेगा। मां अपने बच्चे को संस्कारशील बनाने का पूरा यत्न करती है। उसमें स्नेह, वात्सल्य, त्याग, ममता और सेवाभाव अपने चरम पर होते हैं। वह बच्चे पर सर्वस्व निछावर कर देती है। वह उसे पाने में बड़ी वेदना का सामना करती है पर प्रसन्नतापूर्वक सहन करती है। उसकी सारी पीड़ाओं की कालिख बच्चे के मुख पर एक मुस्कान देखकर धुल जाती है। मां सिर्फ देना जानती है, लेना नहीं। शतपथ ब्राह्मण में माता को पहला गुरु माना गया है।
इस मौके पर विद्यालय के प्रधान श्री विजय कुमार , श्री राकेश कुमार, जिला आर्य सभा बेगूसराय के प्रधान श्री शिव जी आर्य ,रवींद्रनाथ आर्य, संतोष आर्य समेत विद्यालय के शिक्षक, शिक्षिका एवं बच्चे उपस्थित थे।