बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।
बेगूसराय में शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति कार्यालय सुखदेव सभागार में जालियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को याद किया गया। 103 वीं शहादत दिवस के रूप में याद किया गया। जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जालियांवाला बाग में राष्ट्र भक्तों को हत्या करना, जहां अंग्रेज की क्रूरता को दर्शाता है। वहीं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन उग्र रूप धारण कर लिया। गांधी जी की अहिंसा को भी नहीं डगा सका, पंजाब में मार्शल लॉ लागू हुआ। फिर भी क्रांतिकारियों का कारवा बढ़ता गया। आज इस घटना को याद कर देश के और मजबूती प्रदान करता है।
वही आज ही के दिन 1919 में अंग्रेज द्वारा देश भक्तों को भून दिया। मात्र एक युवक उधम सिंह बच गए और वह कसम खाए कि मैं डायर को और उनके इंग्लैंड में जाकर मारूंगा। उधम सिंह इंग्लैंड पहुंचे और डायर के यहां पर नौकरी कर एक मीटिंग में भून डाला। जिसमें और साथी बचे हुए थे, पर उन्होंने उनको नहीं मारा क्योंकि वह महिलाओं के पीछे बैठे हुए थे। उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं पर गोली चलाना जुर्म है।
इस अवसर पर साहित्यकार चंद्रशेखर चौरसिया ने कहा की जालियांवाला बाग विश्व के इतिहास में एक घटना की युगानकारी घटना घटी। इसकी निंदा विश्व के रंगमंच पर जितनी भी की गई उतना कम था। ऐसे जालियांवाला बाग घटना के शहीदों को शत शत नमन।
इस अवसर पर दधिचि देहदान समिति के जिला अध्यक्ष सुशील कुमार राय ने कहा कि 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन ब्रिटेन हुकूमत ने जो बर्बरता दिखाई, जालियावाला बाग हत्याकांड में घटना घटी आज देश के कंनकण और जन-जन में व्यप्रात है।
छात्रा आंचल कुमारी ने कहा कि जालियावाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 भारतीय इतिहास का वह काला दिन था जब पंजाब स्थित अमृतसर के जलियांवाला बाग में भीषण नरसंहार हुआ था, जिसे हर कोई जलियांवाला बाग नरसंहार के नाम से जानता हैं। यह भारतीयों की एक नृशंस हत्या थी ।जिसे रेजिनाल्ड डायर नाम के ब्रिगेडियर जनरल ने अंजाम दिया था। इन शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनकी कुर्बानी को बेकार न जाने दे। साथ ही देश की एकता और अखंडता को और भी मजबूत करे।
इस अवसर पर महिला सेल की सचिन सुनीता देवी, खुशी कुमारी अनेकों ने शहीदों को याद किया।