बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।
आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड बरौनी रिफायनरी की ओर से आयोजित पुस्तक मेले में सुधांशु फ़िरदौस के कविता संग्रह ‘अधूरे स्वांगों के दरम्यान’ के ऊपर पुस्तक वार्ता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी शरद कुमार ने कहा कि पुस्तक हमें ज्ञान की उस दुनिया में ले जाती है जहाँ से हमसब एक नई ऊर्जा और रोशनी को पाते हैं। बरौनी रिफाइनरी हमेशा से ज्ञान के साथ सतत सामाजिक विकास के लिए इस तरह के आयोजन को करता रहता है। इस वार्ता में कविता पुस्तक के बहाने वर्तमान समय में साहित्य की भूमिका और उसकी उपस्थिति के ऊपर बातचीत की गई।
वार्ता की शुरुआत करते हुए डॉ नीलेश कुमार ने कहा कि सुधांशु फिरदौस अभी हिंदी युवा कविता के सबसे बेहतर स्वर के रूप में हैं। इनकी कविता में लोक का भूगोल गहरे रूप में उपस्थित है। प्रकृति की उपस्थिति जिस रूप में सुधांशु के यहाँ वैसी उपस्थिति लगभग युवा हिंदी कविता में किसी और के पास नहीं है।
बातचीत के क्रम में डॉ नीलेश कुमार ने कहा कि आज के समय में साहित्य की महत्ता और अधिक बढ़ गई है क्योंकि जैसे -जैसे हमारा समाज जटिलतर होता जाएगा उस जटिलता से मुक्ति के लिए हमें साहित्य और कला के पास आना ही होगा। इस अर्थ में मनुष्य की मुक्ति का सवाल साहित्य का हमेशा केंद्रीय विषय रहा है।
परिचर्चा में भाग लेते हुए श्री सुधांशु फ़िरदौस ने कहा कि हमारा समय इतना वाचाल हो गया है और झूठ इतना चमकीला है कि आदमी कुछ समझ नहीं पा रहा है कि वह किसे पकड़े और किसे छोड़े। ऐसी स्थिति में साहित्य की जिम्मेदारी व्यापक हो जाती है। आज कल विचार के व्यापक होने की संभावना बहुत कम हो रही है।उसमें संकुचन ज्यादा दिखाई पड़ रहा है। समाज के भीतर घटित घटना अब वस्तु स्थिति से हटकर पक्ष एवं विपक्ष में तब्दील हो जा रहा है। हम देखते हैं कि मुख्य मुद्दे गायब होकर पक्ष- विपक्ष के कोलाहल के रूप में दृश्य पर छा जाता है।
इस बातचीत को आगे बढ़ाते हुए डॉ अरमान आनन्द ने कहा कि युवा कवि सुधांशु फ़िरदौस बाज़ार और मशीन की संस्कृति के बरख्श प्रेम की संस्कृति के पुनर्स्थापन की मांग करने वाले कवि हैं। उनकी कविताएं अपने विषय, भाषा और क्राफ़्ट तीनों में अपनी भारतीय संस्कृति को समेटे हुए है। कविताएं विषयगत रूप से जहाँ आधुनिक मध्यवर्गीय चरित्र को उजागर करती हैं मनुष्य के अवसाद ,अकेलेपन सन्त्रास को रेखांकित करती हैं वहीं भाषा मे गंगा जमुनी तहज़ीब को साथ लेकर चलती है । संस्कृत, उर्दू, फ़ारसी, हिंदी के साथ-साथ वज्जिका-मैथिली के लोकशब्दों को भी साथ करती हैं। इससे कवि के भाषाई रेंज का पता चलता है। कवि ने गांव घर की छोटी-छोटी स्मृतियों को भी अपनी कविताओं में संजो कर रखा है।
कवि का यह नवीन संग्रह ‘अधूरे स्वांगों के दरम्यान’ एक महत्वपूर्ण संग्रह है जो युवा कवि सुधांशु फ़िरदौस को समकालीन काव्य जगत में सशक्त रूप से स्थापित करता है।
बरौनी रिफ़ाइनरी टाउनशिप के कम्यूनिटी हॉल में आयोजित पुस्तक मेला का आयोजन दिनांक 3 अप्रैल 2022 (सुबह 10 से रात्रि 8 बजे) तक किया जा रहा है। सभी पुस्तक प्रेमी इस अवसर से लाभान्वित हो सकते हैं।