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जिले के सुपरिचित चेहरे, समाजसेवी, वामपंथी राजनीति के एक जन-हस्ताक्षर पहसारा निवासी 60 वर्षीय रामानुज सिंह का आज मुज़फ़्फ़र पुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
वे विगत 4 महीने से फेफड़े के कैंसर से पीड़ित थे। टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई में उनका इलाज चल रहा था।
अपने पीछे अपनी विधवा के अलावे दो पुत्र और एक पुत्री छोड़ गए।
उन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन कम्युनिस्ट पार्टी के एक सक्रिय दस्ता के सदस्य के रूप मे शुरू किया था। अंतिम सांस तक वे इस चेतना के साथ प्रतिबद्ध रहे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव गणेश प्रसाद सिंह ने उनके निधन को अपने लिए मर्मान्तक पीड़ा बतायी। उन्होंने कहा कि वे हमारे कॉमरेड ही नहीं हमसफ़र दोस्त और भाई की तरह थे। उनका असामयिक निधन मेरी व्यक्तिगत क्षति है।
पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे वक़्त में जब रामानुज जैसे कामरेड की बहुत जरूरत थी। उनका असमय चला जाना गहरी आघात है।
राजीवरंजन उपमेयर ने कहा कि उनके निधन से मेरे सर पर से एक अभिभावक का साया उठ गया।
भगवान प्रसाद सिन्हा ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वे एक जिंदादिल इंसान थे और वे कुछ लोगों खासकर छात्र- नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य की सेवा को अपना जीवनलक्ष्य बना लिया था। आज उनके बताए रास्ते से बहुत सारे आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सस्ती शिक्षा के माध्यम से अपने कैरियर के वांछित मुकाम तक पहुंच सके हैं।
प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव ललन लालित्य, कोषाध्यक्ष रामकुमार तथा कार्यकारिणी सदस्य शारदा सिंह ने कहा वे लोगों की भलाई और काउंसलिंग के लिए ततपर रहते थे।
शिक्षक नेता राम उदय पासवान ने कहा कि कामरेड रामानुज अपने व्यवहारिक सार्वजनिक जीवन में ज़ात पात और संप्रदायिकता से बहुत ही ऊपर उठे लोग थे।

