WTO के पब्लिक फोरम में पूर्व केंद्रीय मंत्री व सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने मजबूती से रखा भारत का पक्ष
समाचार संपादक – चंद्र प्रकाश राज ,
• विश्व व्यापार संगठन के जिनेवा मे आयोजित लोकमंच के सार्वजनिक आयोजन में रूडी है भारतीय संसद के स्थायी प्रतिनिधि
• मत्स्य पालन नीति पर भारत नहीं है सहमत
• कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था के बावजूद प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में भारत मजबूत स्थिति में
• सकल घरेलू उत्पाद का 20 प्रतिशत भारत निर्यात करता है
सारण, 05 अक्टूबर 2021 । भारत अपनी सकल घरेलू उत्पाद का 20 प्रतिशत निर्यात करता है। हाल के दिनों में 2 साल से जबकि कोरोना के कुप्रभाव के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यस्था कमजोर हुई है और यहां तक की कुछ देशों की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है बावजूद इसके, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत ने बेहतरीन वित्त प्रबंधन कर विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन के लोकमंच पर भारत की ओर से भारतीय संसद के स्थायी सदस्य के रूप में सारण लोकसभा क्षेत्र के सांसद सह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने उक्त बाते कही। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार द्वारा देश में कोरोना काल में जहां 80 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को मुख्य रूप से अनाज और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई वहीं अभी पूरी वयस्क आबादी को निःशुल्क टीकाकरण भी किया जा रहा है। इतना अधिक सरकारी खर्च के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाई नहीं बल्कि अपनी स्थिति में खड़ी रही। भारत ने सकल घरेलू उत्पाद को नीचे नहीं आने दिया। बता दें कि स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन के पब्लिक फोरम का आयोजन हुआ था। भारतीय संसद के प्रतिनिधि के रूप में सांसद रुडी ने इसका प्रतिनिधित्व किया। रुडी ने कहा कि लगभग 150 देशों को भारत ने कोरोना से लड़ाई में दवाइयों के साथ ही चिकित्सा सामग्रियां भी मुहैया कराई हैं।
भारत की ओर से सांसद रुडी ने डब्लूटीओ द्वारा श्रम को शामिल करने का विरोध जताया। विश्व व्यापार संगठन के समझौतों में श्रम मानकों, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों, निवेश के नियमों, प्रतिस्पर्धा नीति जैसे गैर-व्यापार मुद्दों को शामिल करने पर विकसित देश दबाव डाल रहे हैं। सारण सांसद ने कहा कि श्रम जैसे मुद्दों को विश्व व्यापार संगठन के क्षेत्र से बाहर रखा जाना चाहिये अथवा इनका समाधान वैश्विक निकाय अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के माध्यम से किया जाना चाहिए।
मत्स्य नीति पर भारत की ओर से अपनी बात रखते हुए रुडी ने कहा कि तर्कहीन सब्सिडी और कई देशों द्वारा अधिक मछली पकड़ने से भारतीय मछुआरों और उनकी आजीविका को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि समझौते में सही संतुलन और निष्पक्षता आवश्यक है। रूडी ने मत्स्य के क्षेत्र को बढ़ावा देने और छोटे मछुआरों की सुरक्षा के लिए प्रधान मंत्री मोदी के जोर पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में क्षेत्रीय स्तर पर और मीठे जल की मछलियों का व्यापक उत्पादन होता है। राज्य सरकारों की ओर से भी और केंद्र सरकार की ओर से भी मछली पालकों को अनुदान सहित अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हे। बावजूद इसके विश्व व्यापार संगठन ने जो मत्सपालन सब्सिडी की नीति बनाई है वह भारतीय संदर्भ में स्वीकार्य नहीं।
उरूग्वे राउंड में कृषि पर हुए समझौता में भारत के लिए खाद्यान्न सामग्री और भारतीय किसानों के हितों की रक्षा के लिए विशेष चर्चा करते हुए रूडी ने कहा कि भारत अब भी कृषि प्रधान देश है और विश्व के गिने चुने देशों में भारत शामिल है जहां किसान कल्याण विभाग सरकारी स्तर पर कार्यरत है। की। उन्होंने कहा कि भारत एक विकासशील देश है इसलिए इस समझौते में विकासशील देशों को लाभ दिये जाते है। इस संदर्भ उन्होंने खाद्यान्नों के भंडारण की मांग की ताकि भारत सहित अन्य विकासशील देशों को लाभ मिल सके।