बेगूसराय, विजय कुमार सिंह
शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति सुखदेव सभागार, सर्वोदय नगर, बेगूसराय में बेसहारों के सहारा, पीड़ित मानवता की सेविका और समाज की मसीहा मदर टेरेसा की 111 वी जयंती मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा का जन्म आज ही के दिन 26/8 /1910 में हुआ था। पीड़ित मानवता की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री, नोबेल शांति, भारत रत्न अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किए गए। आजीवन सेवा करते हुए 5 सितंबर 1997 ईसवी को हम सबों को छोड़कर गॉड के पास चली गई। उनकी कुछ कथन है खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते है। दया और प्रेम भरी शब्द छोटे हो सकते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी गूंज की कोई सीमा नहीं। आज ऐसी महिला को मैं शत-शत नमन करता हूं।
इस अवसर पर साहित्यकार डॉ चंद्रशेखर चौरसिया ने कहा कि वे कमजोर लोगों की मसीहा थी। उन्होंने रोग ग्रस्त लोगों की सेवा मानव धर्म की सेवा समझकर की है, उन्हें दीन दुखियों की सेवा के लिए अनेक संस्थाओं का संचालन की थी।
इस अवसर पर आलोक कुमार इंजीनियर ने कहा कि मदर टेरेसा की सेवा, जाति व संप्रदाय से ऊपर उठकर की गई सेवा है। उन्होंने केवल मनुष्य मात्र की सेवा की है। आज उनकी जैसी महिला की आवश्यकता देश में है।
शहीद सुखदेव सिंह सामान्यवय समिति के महिला सेल सचिव सुनीता देवी ने कहा कि ट्रेसा को मानवता की भलाई के लिए किए गए कार्य के कारण 1962 में, पद्मश्री 1979 में, नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका कुछ बातें मुझे याद आता है जैसे कि प्रेम एक ऐसा फल है जो हर मौसम में मिलता है और जिसे कोई भी पा सकता है। आप छोटी चीजों के प्रति वफादार रहिए क्योंकि इन्हीं में आपकी शक्ति निहित है।
बबलू आनंद भाजपा के संस्कृत प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष एवं कलाकार संगीतकार ने अपना विचार व्यक्त किया।
इस अवसर पर राजेंद्र महतो अधिवक्ता, जेपी सेनानी ने अपना विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर छात्र नेता आर्यन राज ने कहा कि मदर टेरेसा हमारे देश की महिला नहीं थी मगर भारत के गरीबों की सेवा के लिए यहां रह गई।
इस अवसर पर सरोज कुमार, अर्चना कुमारी, आलोक कुमार इंजीनियर, सुशील राय देहदान समिति के जिला अध्यक्ष, अनिकेत कुमार पाठक, आसमा कुमारी, आंचल कुमारी, ज्ञान चंद्र पाठक, ललिता देवी, सिलम देवी, अनाया कुमारी अनेकों ने उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण की।