बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के बेगूसराय जिला कमिटी के तत्वावधान में आज शनिवार के दिन बेगूसराय समाहरणालय के दक्षिणी द्वार पर बाढ़ ग्रस्त इलाकों को अकाल क्षेत्र घोषित कर आपदा राहत सहायता – प्रति परिवार 25 हजार रुपए बाढ़ अनुदान राशि, खाद्यान्न,पशु चारा, तिरपाल, मेडिकल कैंप, जल जमाव क्षेत्रों में महामारी निरोधक छिड़काव सहित किसानों मजदूरों के सभी कर्जों की माफी, फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा, बंटाईदारों को 1 लाख रुपए तथा भूमि धारक किसानों को 2 लाख रुपए का के सी सी बिना शर्त देने की गारंटी सुनिश्चित करो आदि सवालों को लेकर माकपा का रोषपूर्ण धरना आयोजित किया गया।
धरना की अध्यक्षता माकपा जिला सचिव सुरेश यादव ने की। इस रोषपूर्ण धरना को संबोधित करते हुए माकपा राज्य सचिव मंडल सदस्य राजेंद्र प्रसाद सिंह ने बाढ़ पीड़ितों के प्रति बिहार सरकार और खासकर जिला प्रशासन की शिथिलता उदासीनता और उपेक्षापूर्ण रवैयों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि जनता में त्राहिमाम मचा हुआ है। बिहार सरकार और जिला प्रशासन का पूरा महकमा भ्रष्टाचार में लिप्त हो कर बाढ़ आपदा को भी कमाई के अवसर में बदल दिया है।
धरना को संबोधित करते हुए सीटू एवं संयुक्त ट्रेड यूनियन समन्वय समिति के जिला संयोजक सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि आज का रोषपूर्ण धरना जिला प्रशासन के गैरजिम्मेदाराना, जनविरोधी रवैयों के खिलाफ एक चेतावनी है, अगर प्रशासन अपने कार्यसंस्कृति में सुधार नहीं किया तो समाहरणालय का दोनों गेट जाम कर दिया जाएगा।
रोषपूर्ण धरना में कड़ी धूप का मुकाबला कर चेतावनी धरना पर डटे बाढ़ ग्रस्त इलाकों के आक्रोशित बाढ़ पीड़ितों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए सीटू बिहार राज्य सचिव सह माकपा जिला सचिव मंडल सदस्य कॉ अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि अखबारों में छपी खबरों के अनुसार दो महीना पूर्व ही बाढ़ आपदा से मुकाबला करने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से तैयार और मुस्तैद थी। 2021 के रिकार्ड गंगा नदी की बाढ़ ने जिला प्रशासन और बिहार सरकार के डपोरशंखी दावों और तैयारी की सभी घोषणाओं को बेनकाब कर दिया।
गंगा, बूढ़ी गंडक, बाया, बैंती एवं बलान नदियों से घिरे बेगूसराय जिला प्रशासन के पास 18 प्रखंडों के लिए कम से कम दो सौ बड़ी नाव की आवश्यकता है। वहीं एक भी सरकारी बड़ी नाव का नहीं होना शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। ये सरकार और प्रशासन का जनता के प्रति घनघोर लापरवाही है। इसे किसी किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जा सकता है। न कहीं बड़ी नाव है एक दो अगर किराया पर रखा भी गया है तो उसके द्वारा पशु निकालने में मदद करने के बजाय उल्टे मोटी रकम भी वसूल किया गया है। ये सारा जन विरोधी काम होता रहा है और प्रशासन कुंभकर्ण बनकर सोया हुआ रहा।
छोटी मछली पकड़ने वाली नावें आपदा का मुकाबला नहीं कर सकती, लेकिन प्रशासन उसी के सहारे पर बाढ़ पीड़ितों के जीवन से खिलवाड़ करने का काम किया है। मोदी सरकार के संविधान लोकतंत्र और कानून की हत्या करने के रास्तों पर चलते हुए आपदा प्रबंधन कानून की हत्या जिला अनुमंडल और अंचल प्रशासन का पहचान बन चुका है क्योंकि गंगा नदी की बाढ़ के साथ ही सिपेज जल जमाव व प्रवाह से हजारों एकड़ जमीन पर लहलहाती सोयाबीन, मक्का और धान की बर्बाद हो चुकी फसलों को आपदा का हिस्सा नहीं मानना जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा प्रशासनिक साजिश 2013 से ही लगातार जारी है, हमें एकजुट होकर सरकार और प्रशासन की साज़िश को बेनकाब करना होगा।
धरना को किसान नेता दानी सिंह बच्चन, रामाशीष राय, दयानिधि चौधरी, रत्नेश झा, शम्भु सिंह, रत्नेश्वर ठाकुर, पूर्व मुखिया जयप्रकाश यादव, अभिनन्दन झा, रामजी पासवान, रामविलास सिंह, सत्यनारायण रजक, सुरेन्द्र साह, नौजवान सभा नेता अजय कुमार यादव, मुकेश रजक, शियाराम यादव आदि ने भी सम्बोधित किया।