बेगूसराय, विजय कुमार सिंह।।
विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर की 80वीं स्मृति दिवस शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति कार्यालय सर्वोदय नगर सुखदेव सभागार में मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की।
अध्यक्षीय संबोधन में शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर की आज स्मृति दिवस मनाई जा रही है। इनका जन्म 1861 को बंगाल प्रांत में हुआ था। बाबू द्वारकानाथ ठाकुर के पुत्र और सुप्रसिद्ध महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर के पौत्र थे। उनका वंश अपनी विद्वता के लिए चिरकाल से प्रसिद्ध है। आज सारा विश्व उनका ऋणी है मैं उनको 80 वी पुण्यतिथि दिवस पर नमन करते हैं।
इस अवसर पर डॉक्टर चंद्रशेखर चौरसिया ने कहा कि रवि बाबू असाधारण प्रतिभा के धनी और कुशाग्र बुद्धि के अद्वितीय साहित्यकार थे। उनकी साहित्यिक और सांसारिक प्रतिभा 16 वर्ष की अवस्था में ही प्रकट होने लगी थी। ऐसे महान कवि को मेरा शत-शत नमन।
इस अवसर पर युवा कवि, फिल्म कलाकार, गीतकार प्रफुल्ल चंद्र मिश्र ने कहा कि रविंद्र नाथ ठाकुर समग्र मानव जाति के मसीहा थे। वे सच्चे देशभक्त थे। वे गांधीजी के साथ मिलकर देश भक्ति पर ढेर सारी कविताएं लिखी।
महिला सेल सचिव सुनीता देवी ने कहा कि रवि बाबू बांग्ला भाषा के साहित्यकार में सर्वाधिक चमकने वाले नक्षत्र थे। उन्होंने साहित्य के अनेक विधाओं में रचना प्रस्तुत की हैl जिनमें काव्य, निबंध, कहानी, नाटक, उपन्यास प्रमुख हैं।
इस अवसर पर डॉ ललिता देवी (साहित्यकार) ने कहा कि रविंद्र नाथ ठाकुर सरस्वती के वरद पुत्र थे। धन्य है वह देश और जाति, जो अपने साहित्य सेवियो का आदर करके भगवती सरस्वती की उपासना करें और धन्य है वह महापुरुष जो सरस्वती मंदिर का पुजारी होने के कारण अपने देश जाति वालों से सम्मानित है।
सुशील कुमार राय( दे दान समिति के अध्यक्ष) ने कहा कि रविंद्र नाथ ठाकुर जाति -पाति से ऊपर उठकर समग्र भावों को शब्द चित्र वारा खींचने में समर्थ थे। उनकी लेखनी की शैली में सभी जातियों समर प्रदान की आध्यात्मिक मूल्य स्पष्ट झलकता है। ऐसे महान कवि की स्मृति दिवस पर मैं उनको नमन करता हूं।
सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष, गीतकार बबलू आनंद ने कहा कि विश्वकवि रविंद्र नाथ ठाकुर की आज स्मृति दिवस पर उनको पूरा देश नमन करते हैं।
इस अवसर पर राजेंद्र महतो अधिवक्ता, जेपी सेनानी, अधिवक्ता विकास सर, छात्रा अनाया कुमारी, पूर्व जिला अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षक संघ के अरुण कुमार, भूषण प्रसाद सिंह पूर्व प्राचार्य, राजेंद्र यादव आदि ने अपना विचार व्यक्त किए।