बेगूसराय ::–
विजय कुमार सिंह ::–
17 फरवरी 2021, बुधवार
एआईएसएफ के वर्षों से चले आ रहे आंदोलन की बड़ी जीत हुई है।ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों को लिखित आदेश जारी कर छात्राओं एवं एससी-एसटी छात्रों से नामांकन शुल्क लेने पर रोक लगा दिया गया है। साथ ही 2016 के बाद से इस कोटि के जिन छात्र/छात्राओं से नामांकन शुल्क लिया गया है उसे वापस करने का भी आदेश जारी किया गया है।
इन बातों की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से एआईएसएफ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अमीन हमजा एवं जिला उपाध्यक्ष राकेश कुमार ने संयुक्त रूप से दी।
उन्होंने कहा कि 2015 में ही एआईएसएफ की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री जीतन राम मांझी ने छात्राओं एवं अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों के लिए केजी से पीजी तक की पढाई मुफ्त करने का ऐलान किया था।
इस कानून के लागू हो जाने के बाद भी अधिकांशतः शैक्षणिक संस्थान इन कोटि के छात्र-छात्राओं से नामांकन के पैसे ले रहा था। पिछले पाँच वर्षों से अधिक समय से हमारा संगठन इस कानून को धरातल पर लागू करने की मांग को लेकर संघर्षरत है। हमने सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष किया है।
संगठन के बिहार राज्य अध्यक्ष रंजीत पंडित के द्वारा दायर लोकहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने ग्यारह दिसंबर को ये आदेश दिया था कि जल्द से जल्द इस कोटि के छात्र छात्राओं के नामांकन शुल्क वापस किया जाए।
इस आदेश को लेकर छात्राओं में हर्ष का माहौल है।
संगठन के राष्ट्रीय नेता अमीन हमजा एवं राकेश कुमार ने विश्वविद्यालय के इस फैसले का स्वागत किया है।
विदित हो कि उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की ओर से एफिडेविट देकर ये कहा गया है कि ऐसे मामलों में शैक्षणिक संस्थानों के आर्थिक बोझ का वहन सरकार करने के लिए तैयार है।