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बिहार में बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सांसद राजीव प्रताप रुडी ने केंद्र सरकार के पास रखा नया एजेंडा

ब्युरो प्रमुख – चन्द्र प्रकाश राज ,
बिहार में बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सांसद राजीव प्रताप रुडी ने केंद्र सरकार के पास रखा नया एजेंडा
o आहर-पईन और प्राकृतिक नदी नालों पर अतिक्रमण का बिहार की बाढ़ विभीषिका में अहम रोल
o सांसद रुडी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा, देश में एक मॉडल कानून की जरूरत
सारण, 22 सितम्बर, 2020 । जनहित के तमाम मुद्दे लोकसभा में उठाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने और तत् संबंधी काम को तेज गति से कराने के लिए सारण सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी जाने जाते है। जनता के कार्य चाहे वो राज्य सरकार की योजना से हो रहा हो अथवा केंद्रीय योजना से, उसे व्यक्तिगत रुची के साथ पूरा करवाने के लिए सदैव तन्मय रहने के कारण ही विकास के कई मामलों में सारण देश के तमाम लोकसभा क्षेत्रों में काफी उपर है। सोमवार को उन्होंने लोकसभा में बिहार में आने वाली बाढ़ से संबंधित मुद्दा को उठाया। उन्होंने एक नये संदर्भ को रेखांकित करते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट किया कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर ऐसा प्रयास करें कि बिहारवासियों को हर वर्ष आने वाली बाढ़ की विभीषिका से मुक्ति मिल सके। सांसद ने कहा कि खेती और सिंचाई के लिए जो नहरें, प्राकृतिक नदी-नाले, बरसाती नदियां और कृषि विभाग द्वारा जो आहर पईन का निर्माण किया गया था, उन सब पर काफी हद तक अतिक्रमण हो चुका है। उन्होंने कहा कि गंडक का पानी बांध टूटने के बाद सारण तक आकर जमा हो गया। जहां तटबंध टूटा वहां कोई पानी जमा नहीं हुआ, पानी बहते हुए अपने अंतिम छोर पर जमा हो गया। गंगा और गंडक में जाने वाले पानी का अंतिम छोर पर जलजमाव मूलतः पानी के बहाव के प्राकृतिक स्रोतों के अतिक्रमण के कारण हुआ।
इसके पूर्व भी सांसद ने इस विषय पर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था कि खेती वाले वैसे जमीन को ही आवासीय भू खण्ड के रूप में रजिस्ट्री की जाय जिसमें जमीन से ही सड़क दी गई हो। आहर पईन को भरकर सड़क दिखलाकर जमीन का रजिस्ट्री न किया जाय। केंद्र से उन्होंने आग्रह किया कि केंद्र सरकार एक ऐसा मॉडल कानून बनाये कि लोग आहर पईन, प्राकृतिक नदी नालों को भरकर अतिक्रमण न करें, उसे सड़क का रूप न दें या उसपर आवास न बनायें जिससे यह कानून देश में सभी राज्य लागू कर सकें। विदित हो कि इस संदर्भ में सांसद रुडी ने राज्य सरकार को अवगत कराया था और इसका विस्तृत प्रस्ताव बनाकर भेजा था। श्री रुडी के प्रस्ताव के अनुरूप राज्य सरकार ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को आदेश निर्गत करते हुए प्राकृतिक नदी-नालों और पुराने समय में बने आहर-पईन को चिन्हित करते हुए उसकी सूची सरकार को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। परन्तु इस संदर्भ में कोई कानून न होने के कारण इस पर कोई यथोचित कार्रवाई नहीं हो पाई और आज भी पुराने आहर-पईन को सड़क दिखाकर जमीन की रजिस्ट्री हो रही है इसपर कोई रोक नहीं लग पाया।
सांसद रुडी ने बताया कि अतिक्रमण के कारण सारण जिला में तेल, महि, डबरा आदि कई नदियां है जिनका अस्तित्व मिट चुका है या मिटने की कगार पर है। उन्होंने कहा जब नेपाल से डैम से पानी छोड़ा जाता था तब वह प्राकृतिक नदी नालों से होकर खेतों में सिंचाई के काम में आ जाता था और रिहायशी इलाकों को क्षति नहीं पहुंचती थी। वर्तमान में वो प्राकृतिक स्रोत अतिक्रमित हो गये है, उनपर सड़कें बन गई है और लोग घर बनाकर रह रहे है। कई जगह उनका अस्तित्व मिट गया है और पानी के बहाव का मार्ग अवरूद्ध हो गया है जिस कारण बाढ़ का पानी निकल नहीं पाता और वहां जलजलमाव हो रहा है ।

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